आशाओं की न्यूनतम वेतन सहित 12 सूत्रीय मांगों पर सरकार मौन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। लंबे समय से मांगों की अनदेखी होने पर आशा कार्यकत्रियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार पर उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह एक माह से अधिक समय से मांगों को लेकर धरना दे रहे है, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि आशा कर्मचारी विषम परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा रही हैं। सरकार आशाओं की न्यूनतम वेतन सहित 12 सूत्रीय मांगों पर मौन है। सरकार ने आशाओं के प्रति चुप्पी साध ली है। आशाओं ने कहा कि जब सरकार अन्य शासनादेश जारी कर सकती है तो उनकी मांगों को लेकर शासनादेश जारी करने में इतना समय क्यों लग रहा है।
सोमवार को 36वें दिन भी आशा कार्यकत्रियोंं ने तहसील परिसर में धरना दिया। उन्होंने कहा कि मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर पूर्व में भी सरकार से कई बार मांग की गई। इसके बावजूद भी सरकार अपने अड़ियल रवैये पर स्थिर है। जिससे कर्मचारियों में खासा रोष भी पनप रहा है। अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी ने कहा कि संगठन लंबे समय से आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने सहित 12 सूत्रीय मांगों को पूरा करने की मांग कर रहा है। प्रदर्शन करने वालों में उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सुमन, रजनी, विमला, कमला, पुष्पा, राखी, लक्ष्मी, भूमा देवी, मधु ममगांई, नीलम कुकरेती, गायत्री देवी, शोभा, हेमलता रावत, संजू, गोदांबरी, मेघा असवाल, कमला, वीना वछवाण, ललिता, आशा, सुमन रौथाणा, कल्पना काला, कल्पना बिष्ट, सीमा शाही, ऊषा, विमला जोशी, लक्ष्मी असवाल, बसन्ती देवी, राखी रावत, मंजू, सुमन राठौर, भागीरथी भंडारी, मंजू नेगी, शांति देवी, रेनू, प्रीति, प्रवेश, विजय लक्ष्मी ध्यानी, (फोटो संलग्न है)