सरकार की उपेक्षा से भड़कीं आशा वर्कर, 30वें दिन भी जारी रहा धरना
पिथौरागढ़। जनपद में आशाओं का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। नगर से लेकर भारत-नेपाल सीमा तक आशाआों की आक्रोश से गूंज रही है। न तो सरकार ही उनकी सुध ले रही है और न ही आशा कार्यकत्रियां वापस ड्यूटी में लौटने को तैयार हैं। आशाओं का कहना है कि पक्की नौकरी और सामाजिक सम्मान लिए बगैर वे पीछे नहीं हटेंगी। मंगलवार को 30वें दिन भी जिले भर में आशा कार्यकत्रियां अपनी मांगों को लेकर डटी रही। जिला मुख्यालय से लेकर धारचूला, मुनस्यारी, थल बेरीनाग, गंगोलीहाट, मुवानी सहित अन्य क्षेत्रों में आशा कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए धरना दिया। आक्रोशित आशाओं ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया। कहा आशा कार्यकत्रियां अपने कार्य के अलावा शासन स्तर से मिलने वाले प्रत्येक कार्य को बखूबी अंजाम तक पहुंचा रहीं हैं। बदले में अल्प वेतन देकर सरकार उनका उत्पीड़न कर रही है। कहा 30 दिन से लगातार वे धरना-प्रदर्शन कर रही हैं, बावजूद सरकार को उनकी पीड़ा दिखाई नहीं देती। जिलाध्यक्ष इंद्र देऊपा ने कहा सरकार आशाओं की समस्याओं को लेकर टालमटोल कर रही है। कहा एक महीना हो गया है, लेकिन सरकार अब तक कोई निर्णय नहीं ले सकी है। यहां राजेश्वरी देवी, चंद्रकला, हेमलता सौन, लीला जोशी, बीनीता पांडे, भवानी देवी, आशा, हीरा कार्की, उर्मिला सौन, रेशमा कालौनी, रेखा उप्रेती, उर्मिला तिवारी, भागीरथी देवी, महेश्वरी पाठक, गीता बेलाल, हेमा पांडेय, हेमा, कमला चंद, लक्ष्मी नेगी रहीं।