खालिस्तानी आतंकियों पर विदेशी धरती पर भी कसेगा शिकंजा, सरकार ने तैयार किया एक्शन प्लान

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नई दिल्ली ,। केंद्र सरकार अब विदेशों में पनाह लिए बैठे खालिस्तानी आतंकियों और उनसे जुड़े गैंगस्टरों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर विदेश मंत्रालय (रूश्व्र) जल्द ही अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत कई यूरोपीय देशों को औपचारिक तौर पर सूचित करेगा कि भारत के कई वांछित खालिस्तानी आतंकी इन देशों में फर्जी पासपोर्ट और नकली पहचान पत्रों के सहारे छिपे हुए हैं।
सरकार अब इन देशों पर आतंकियों को भारत को सौंपने के लिए कूटनीतिक दबाव बनाएगी। इस रणनीति के तहत उन भगोड़ों को निशाना बनाया जाएगा जो भारतीय कानून से बचने के लिए नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर विदेश भागे हैं।
यह मुद्दा हाल ही में दिल्ली में आयोजित इंटेलिजेंस ब्यूरो (ढ्ढक्च) की दो दिवसीय राष्ट्रीय सुरक्षा कॉन्फ्रेंस में भी प्रमुखता से उठा था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि वे ऐसे खालिस्तानी आतंकियों और गैंगस्टरों की एक विस्तृत सूची तैयार करें, जिन्होंने नकली दस्तावेजों के आधार पर विदेशों में शरण ले रखी है।
पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां खालिस्तानी तत्वों ने फर्जी पहचान पर दूसरे देशों की यात्रा की। इसका एक बड़ा उदाहरण खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर था, जिसकी जून 2023 में कनाडा के सरी में हत्या कर दी गई थी। जांच में सामने आया था कि निज्जर ने 1997 में ‘रवि शर्माÓ के नाम से फर्जी पासपोर्ट पर कनाडा की यात्रा की थी।
इसी तरह, इसी साल मार्च में उत्तर प्रदेश पुलिस ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल (क्च्यढ्ढ) से जुड़े आतंकी लाजर मसीह को गिरफ्तार किया था, जो दिल्ली के एक गैंग से फर्जी पासपोर्ट बनवाकर विदेश भागने की फिराक में था। इससे पहले फरवरी 2025 में, यूपी एटीएस ने पीलीभीत में एक ऐसे नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था, जो खालिस्तानी समर्थकों के लिए फर्जी वीजा और दस्तावेज तैयार करता था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईबी कॉन्फ्रेंस के बाद अब गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय मिलकर इस योजना पर औपचारिक कार्रवाई करेंगे। सरकार का अगला कदम हर वांछित आतंकी और गैंगस्टर के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाना है, जिससे यह साबित किया जा सके कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वीजा या शरण हासिल की है। इन्हीं सबूतों के आधार पर संबंधित देशों से प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक रूप से बातचीत की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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