हल्द्वानी। उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के आरोप को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह का समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मंगलवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड विधानसभा में वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद से 2022 तक विधानसभा में हुईं बैकडोर नियुक्तियों की जांच एवं इसमें शामिल रहे माननीयों से सरकारी धन की वसूली की मांग की है। अगली सुनवाई 15 अक्तूबर को होगी। जनहित याचिका के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में छह फरवरी 2003 के शासनादेश के अनुरूप कार्यवाही के निर्देश दिए थे। इसमें ‘माननीयों से सरकारी धन की वसूली एवं अन्य प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख है, लेकिन कई महीनों बाद भी राज्य सरकार का कोई जवाब नहीं आया। ऐसे में मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को स्पष्ट निर्देश देते हुए सचिव कार्मिक का जवाब तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने को कहा। उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार एवं अनियमितता को लेकर देहरादून निवासी कांग्रेस नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है। मामले के अनुसार, देहरादून निवासी अभिनव ने जनहित याचिका के जरिए विधानसभा में हुईं बैकडोर भर्तियों, भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि विधानसभा सचिवालय ने जांच समिति बनाकर वर्ष 2016 के बाद विधानसभा सचिवालय में हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया, जबकि उससे पहले की नियुक्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिका में आरोप है कि यह घोटाला वर्ष 2000 में राज्य गठन से अब तक होता रहा है, जिसकी सरकार ने अनदेखी की है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि तदर्थ नियुक्ति के मामले में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्षों और तत्कालीन मुख्यमंत्रियों से संबंधित शासनादेश के अनुरूप रिकवरी नहीं की गई।
जवाब दाखिल करने को मांगा था समय
थापर ने जनहित याचिका दायर कर विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियां लगवाने वाले ताकतवर लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने एवं लूट मचाने वालों से सरकारी धन की रिकवरी की मांग की थी। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 28 फरवरी 2024 को स्पष्ट आदेश दिए कि विधानसभा सचिवालय में नियमविरुद्ध हुई बैकडोर भर्तियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें, लेकिन राज्य सरकार की ओर सचिव कार्मिक ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा कि सरकार ने छह फरवरी 2003 के शासनादेश, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 एवं उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमावलियों का उल्लंघन भी किया है।