उत्तराखंड

सरकार बताए, क्या नैनीताल जिले में बन सकती है ओपन जेल: हाईकोर्ट

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हल्द्वानी। हाईकोर्ट ने नैनीताल जेल में फैली अव्यवस्थाओं और जेल के जर्जर भवन का स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में मंगलवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या राजस्थान की तरह नैनीताल जिले में भी खुली जेल बनाई जा सकती है, जहां कैदियों के कौशल विकास के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें? प्रदेश सरकार को कोर्ट में अपनी राय प्रस्तुत करने के लिए दो माह का समय दिया गया है। साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में नियुक्त न्यायमित्र से कहा है कि वह राजस्थान की खुली जेलों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट दें और उत्तराखंड में जेलों के सुधारीकरण के लिए सुझाव प्रस्तुत करें। मंगलवार को हुई सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने पूर्व के आदेश का अनुपालन करते हुए नैनीताल जेल से कैदी सितारगंज खुली जेल में स्थानांतरित कर दिए हैं। साथ ही कोर्ट के आदेश पर सरकार ने उन कैदियों को भी रिहा कर दिया, जिनकी जमानत होने के बाद भी मुचलके भरने के लिए कोई उपलब्ध नहीं था। उन्हें निजी बेल बॉण्ड पर रिहा कर दिया। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि ऐसे कैदियों की कुल संख्या 27 थी, जिसमें से 25 रिहा किए जा चुके हैं। शेष दो गंभीर आरोप वाले हैं, उन्हें रिहा नहीं किया। पूर्व में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल जिला जेल के निरीक्षण में पाया कि 1906 में बना जेल का भवन काफी पुराना और जर्जर हालत में है। जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। वहां निरुद्ध कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है। कैदियों के बीमार होने की स्थिति पर उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचाने में दिक्कतें होती है। प्राधिकरण ने निरीक्षण के दौरान पाया कि नैनीताल जेल भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी संवेदनशील है। यह भवन कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकता है। प्राधिकरण की इस निरीक्षण रिपोर्ट का हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिए स्वीकार किया है।

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