सरकार की नाक के नीचे सरकार को ही खनन पट्टेदार ने लगा दिया करोड़ों का चूना
-जमा करने से थे डेढ़ करोड़, कुल जमा किए 11 लाख और उठा लिया डेढ गुना माल
-नए एसडीएम के आने पर खुली पोल, पट्टा किया सील, पोर्टल हुआ बंद
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: खनन कारोबारियों के लिए वैध और अवैध खनन को लेकर सफेद सोना बने कोटद्वार में सरकार के लोग ही खनन कारोबारियों से मिलकर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने में चूक नहीं कर रहे हैं। ऐसा मामला कोटद्वार में तब सामने आया, जब कोटद्वार में नए एसडीएम ने कार्यभार ग्रहण करते ही खनन पट्टों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पाया कि एक पट्टे धारक ने बिना पूरी रायल्टी जमा किए सीमा से लगभग डेढ गुना खनन का चुगान कर दिया। हेरत में पड़े एसडीएम संदीप कुमार ने पट्टा धारक का पट्टा सील कर रवन्ना जारी करने के पोर्टल को भी बंद करा दिया है।
प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार इसी वर्ष मई में कोटद्वार की नदियों में खनन को लेकर पट्टों की नीलामी हुई थी। इसी दौरान तेली स्रोत नाले में चुगान को लेकर काशीरामपुर मल्ला निवासी मनीष अग्रवाल को पट्टा आवंटित किया गया। इसके लिए उन्हें सवा दो करोड़ रुपये से अधिक रायल्टी जमा करनी थी। हालांकि, रायल्टी जमा न कर पाने के कारण वह चुगान नहीं कर पाए। बाद में उन्होंने 90 लाख रुपये जमा किए और फिर भी चुगान नहीं किया। उन्हें अभी भी एक करोड़ 51 लाख 63 हजार 498 रुपये जमा करने थे। उन्होंने बीते अक्टूबर महीने में 11 लाख रुपये और जमा किए व 25 अक्टूबर से तेली स्रोत नाले में चुगान शुरू कर दिया। उन्हें 30 नवंबर तक चुगान की अनुमति थी। एसडीएम संदीप कुमार ने बताया कि मनीष अग्रवाल को 3120 घन मीटर में 27120 टन खनिज चुगान की अनुमति थी, जबकि उन्होंने 16200 घन मीटर में 42504 टन खनिज का चुगान कर दिया। जब उक्त मामला जांच में सही पाया गया तो 15 नवंबर 2021 को उनका पट्टा सील कर दिया गया और पोर्टल भी बंद कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इस मामले में रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय को भेज दी गई है। जिलाधिकारी कार्यालय के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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.. तो करोड़ों रुपये के राजस्व से हाथ मलती रह जाएगी सरकार
कोटद्वार में नदियों में खनिज खनन कारोबारियों और अधिकारियों के लिए सफेद सोना साबित हो रहा है। इसकी चमक खनन कारोबारियों और अधिकारियों में साफ रूप से दिखाई देती है। मई माह के अंतिम सप्ताह में सुखरौ नदी के खनन को लेकर नीलाम हुए पट्टों के तहत जून और जुलाई में जमकर खनन का चुगान हुआ। जिसके तहत नदी को छलनी कर बड़े-बड़े गड्ढे खोदे गए, बावजूद इसके पट्टेदारों के पट्टों का चुगान पूरा नहीं बताया जा रहा है। अब बताया जा रहा है कि बरसात के कारण पट्टेदार सुखरौ नदी में आवंटित पूरे खनिज को नहीं उठा पाए। इसलिए पट्टेदारों ने अपने लिए शेष आवंटित खनिज को उठाने के लिए शासन में गुहार लगाई है। शासन भी सफेद सोने की चमक के सामने आंखे बंद कर पट्टेदारों को शेष खनिज उठाने की सोच रहा है।
अब प्रश्न यह पैदा होता है कि नीलामी में जब खनिज के पट्टेदारों को रिवर ट्रेडिंग के नाम पर आवंटित पट्टों में निश्चित मात्रा में निश्चित समय पर खनिज उठाने की शर्तें रखी हुईं थी तो दो बार समय बढ़ाने के बावजूद फिर पट्टा देने की जिम्मेदारी शासन क्यों उठाना चाहता है। यदि सुखरौ में पुराने पट्टों पर खनिज उठाने की अनुमति दी गई तो बरसात में आया सारा आरबीएम खनिज उठ जाएगा और नए साल के लिए सरकार करोड़ों रुपये के राजस्व से हाथ मलती रह जाएगी।
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खनन बंद फिर भी चीर रहे नदियों का सीना
कोटद्वार की नदियों में वर्तमान में खनन बंद है। इसके बावजूद हर रोज कारोबारी अवैध खनन कर नदियों का सीना चीर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन करीब 500 टन अवैध खनन किया जा रहा है। हालांकि खानापूर्ति के लिए प्रशासन और वन विभाग की टीम कुछ कार्रवाई भी कर रही है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे जैसी साबित हो रही है। वन विभाग से मिले आंड़कों के अनुसार अक्टूबर महीने में विभाग ने अवैध खनन में 15 टै्रक्टर ट्रॉली सीज कीं और करीब चार लाख रुपये जुर्माना वसूला। वहीं नवंबर में अब तक सात ट्रैक्टर ट्रॉली सीज कर दी हैं। हालांकि प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी ईमानदारी से कार्य करें तो यह आंकड़ा काफी बड़ा हो सकता है।
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