लव जिहाद’ पर कानून ला रही सरकार, होंगे सख्त नियम

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मुंबई ,महाराष्ट्र सरकार ने जबरन धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए इस पर कानून बनाने के लिए एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति राज्य में वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करेगी और इस संबंध में उचित कानूनी उपायों की सिफारिश करेगी। इस समिति का नेतृत्व महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) करेंगे। इसमें महिला एवं बाल विकास, अल्पसंख्यक कल्याण, विधि एवं न्यायपालिका, सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग के सचिव और गृह विभाग के दो प्रतिनिधि शामिल होंगे।समिति अन्य राज्यों में जबरन धर्मांतरण को लेकर बनाए गए कानूनों का अध्ययन करेगी और महाराष्ट्र में इस प्रकार का कानून लागू करने की संभावनाओं पर विचार करेगी। साथ ही यह समिति राज्य में ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण के मामलों की मौजूदा स्थिति का आकलन करेगी और इससे निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर अपनी सिफारिश देगी। सरकार के इस कदम का समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने विरोध किया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार के पास ऐसे मामलों का कोई ठोस आंकड़ा नहीं है और यह केवल धर्मांतरण के मुद्दे को ‘जिहाद’ का नाम देकर राजनीति कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने पहले 1 लाख से अधिक ‘लव जिहाद’ के मामलों की बात कही थी। लेकिन अब तक एक भी मामले में ठोस पुलिस केस दर्ज नहीं किया जा सका है। विधानसभा में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले भी कह चुके हैं कि राज्य सरकार जबरन धर्मांतरण के मामलों पर कानून लाने की योजना बना रही है। खासकर ऐसे मामलों में जहां धर्मांतरण के बाद विवाह किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन किया जा रहा है। जब वह 2023 में महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। तब उन्होंने विधानसभा में भी इस तरह के कानून की जरूरत को लेकर बयान दिया था।
सरकारी प्रस्ताव के अनुसार कई जनप्रतिनिधियों, संगठनों और नागरिकों ने जबरन धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की थी। इस समिति को यह भी जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह इस मुद्दे से जुड़े कानूनी पहलुओं की समीक्षा करे और राज्य सरकार को उपयुक्त सुझाव दे। समिति अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद राज्य सरकार कानून बनाने पर अंतिम निर्णय लेगी। अगर यह कानून लागू होता है तो यह महाराष्ट्र में जबरन धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ के मामलों को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। हालांकि इस पर राजनीतिक विवाद जारी रहने की संभावना है।

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