बीआरओ के कैजुअल श्रमिकों के पार्थिव शरीर घर तक पहुंचाएगी सरकार
नई दिल्ली, एजेंसी। सरकार सीमा सड़क संगठन की विभिन्न परियोजनाओं में दूर दराज के दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत कैजुअल श्रमिकों की मृत्यु होने पर उनके पार्थिव शरीर मूल स्थान तक पहुंचाने के खर्च को वहन करेगी। इसके अलावा सरकार ने कैजुअल श्रमिकों के अंतिम संस्कार पर होने वाले खर्च की राशि भी एक हजार से बढ़ाकर दस हजार रुपए करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।
रक्षा मंत्रालय ने रविवार को बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। अभी तक यह सुविधा सीमा सड़क संगठन के जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स के कर्मियों के लिए ही उपलब्ध थी। परियोजनाओं में सरकारी प्रामाणिक ड्यूटी के दौरान किसी श्रमिक की मृत्यु होने की स्थिति में, जिसका अंतिम संस्कार कार्यस्थल पर ही किया जा रहा है इसके अंतिम संस्कार का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, कैजुअल वेतनभोगी श्रमिकों को सीमा सड़क संगठन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण कार्य में लगाया जाता है। वे प्रतिकूल जलवायु और कठिन कार्य- परिस्थितियों में सीमा सड़क संगठन कर्मियों के साथ मिलकर काम करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे कभी-कभी दुर्घटना के शिकार भी होते हैं। अभी तक, सरकारी खर्च पर पार्थिव शव के संरक्षण और इसे मूल स्थान तक पहुंचाने के लिए परिवहन की सुविधा केवल जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स के कर्मियों के लिए उपलब्ध थी।
समान परिस्थितियों में काम करने वाले श्रमिक इस सुविधा से वंचित थे। उनकी मृत्यु हो जाने की स्थिति में, परिवहन का व्यय शोक संतप्त परिवारों पर पड़ता है। आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण मृतक का परिवार ज्यादातर स्थितियों में हवाई किराया या यहां तक कि सड़क मार्ग से परिवहन का खर्च भी वहन नहीं कर पाता है। ऐसी परिस्थितियों में, मृत श्रमिक के परिजनों को राष्ट्र के लिए अपने जीवन का बलिदान करने वाले अपने परिजन के अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि अर्पित करने का मौका भी नहीं मिलता है। रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन के अग्रिम कार्यस्थलों का दौरा करते हुए कैजुअल वेतनभोगी श्रमिकों की कठिन कार्य स्थितियों को देखा था। वह उनके कल्याण के प्रति चिंतित थे और उन्होंने उनके लिए उचित कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने का निर्देश दिया था।