सरकार कानून और संविधान के अनुसार चलें
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : विभिन्न संगठनों ने तिलाड़ी आंदोलन की बरसी पर रवांई घाटी के आंदोलन में मारे गए लोगों को हेमवती नंदन बहुगुणा मूर्ति स्थल पर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर उत्तराखंड में जनता के हकों को सुनिश्चित करने, सरकार कानून और संविधान के अनुसार चलने की मांग की गई।
मंगलवार को श्रद्धांजलि सभा में सीटू के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि रंवाई घाटी जो कि वर्तमान में टिहरी जिले के बड़कोट तहसील में आती है का आंदोलन तिलाड़ी आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। जहां स्वतंत्रता से पूर्व टिहरी राज्य के राजा नरेंद्र शाह द्वारा 1927-28 के समय में टिहरी रियासत में वन कानून बनाया गया। जिसमें ग्रामीणों के हितों को सिरे से अनदेखा कर दिया गया। जिसके तहत ग्रामीणों के आवागमन के रास्ते, उनके खेत व पशुओं को चराने के लिए जंगल आदि सभी वन कानून के अंतर्गत कर दिए गए। कृषि पर निर्भर ग्रामीण कानून के खिलाफ रवांई में एकजुट हो गए। उन्होंने आजाद पंचायत की घोषणा कर रियासत के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया। पास के सभी लोग अपनी मांग को लेकर तिलाड़ी मैदान में जुटे। जहां 30 मई 1930 को रियासत के दीवान चक्रधर जुयाल के आदेश पर राज्य की सेना ने सभी आंदोलनकारियों पर गोलियां चला दी। जिससे मौके पर कई किसान शहीद हो गए और कई घायल भी हुए। बताया कि पूरा प्रकरण रवांई कांड या तिलाड़ी विद्रोह के नाम से जाना जाता है।