हरिद्वार। दासोंवाली में एक साल पहले आग से वन गुर्जर परिवारों के मकान जल गए थे। वर्तमान में वह तिरपाल के नीचे जीवन गुजारने को मजबूर हैं। इस समय यहां करीब 30 परिवार रह रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें दोबारा घर बनाने की अनुमति नहीं मिल रही, जिससे बरसात के सीजन में उन्हें परेशानी झेलनी पड़ेगी। 12 जून 2024 को दासोंवाली की गुर्जर बस्ती में आग लगने से दो दर्जन से अधिक झोपड़ियां जल गई थीं। पीड़ितों का आरोप है कि वन विभाग उन्हें पुनः मकान निर्माण की अनुमति नहीं दे रहा और टांटवाला (दूधला दयालवाला) क्षेत्र में स्थानांतरित करने का दबाव बना रहा है, जो उनके अनुसार जलभराव क्षेत्र है। स्थानीय निवासियों युसूफ, सद्दाम, लियाकत, सफी, रफी, गामू, मीर हमजा और शहजाद ने बताया कि उन्होंने विभाग को तीन वैकल्पिक स्थल गेंडीखात्ता, नहर पटरी क्षेत्र या नालोवाला चौकी के पास का सुझाव दिया है, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। पीड़ितों के अनुसार बरसात में तिरपालें टपकने लगती हैं, जिससे बच्चों और मवेशियों को परेशानी हो रही है। राशन, साफ-सफाई और बच्चों की पढ़ाई जैसी बुनियादी जरूरतें भी प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। इस संबंध में जब वन क्षेत्राधिकारी महेश शर्मा ने बताया कि दासोंवाली क्षेत्र में निवास करने वाले वन गुर्जर परिवारों को कहीं और स्थानांतरित करने का कोई लिखित आदेश विभाग को प्राप्त नहीं हुआ है। साथ ही इन परिवारों की ओर से न तो कोई लिखित पत्राचार किया गया है और न ही अब तक किसी ने समस्याओं को लेकर मुझसे मौखिक रूप से भी कोई बात की है। उन्होंने वन गुर्जर परिवारों के दावों को बे-बुनियाद बताते हुए सिरे से खारिज किया।