गुस्साई महिलाओं ने किया शराबबंदी को लेकर कलक्ट्रेट में प्रदर्शन
पिथौरागढ़। जिला मुख्यालय के निकटवर्ती गांवों में शराब का बढ़ते प्रचलन ने महिलाओं को परेशानी में डाल दिया है। गुस्साई कुम्डार क्षेत्र की महिलाओं ने बुधवार को कलक्ट्रेट पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। महिलाओं ने शराब पर अंकुश के लिए ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। कलक्ट्रेट के समक्ष गरजीं महिलाओें ने कहा कि शराब के बढ़ते प्रचलन के कारण गांवों की शांति प्रभावित हो रही है। शराबी गांवों का माहौल खराब कर रहे हैं। घरों में तमाम तरह के तनाव शराब के चलते बढ़ रहे हैं। बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। गंभीर समस्या के बावजूद जिम्मेदार महकमे मौन साधे हुए हैं। महिलाओं ने कहा कि अवैध शराब की तस्करी पहाड़ को बर्बाद कर रही है। महिलाओं के लिए स्थितियां दिन पर दिन बिगड़ती जा रही हैं। अविलंब शराब और शराबियों पर अंकुश नहीं लगाऐ जाने पर महिलाओं ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। प्रदर्शन करने वालों में दर्जनों महिलाएं शामिल थी। प्रदर्शन के बाद महिलाओं ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और इस समस्या के समाधान की गुहार लगाई।
नशा उन्मूलन जागरू कता पर लगा विराम: -पूर्व में शराब के दुष्प्रभावों से लोगों को जागरू कता कार्यक्रम के लिए मद्य निषेध कार्यक्रम संचालित किए जाते थे। इसके लिए तमाम विभागों को प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समय-समय पर जागरू कता कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। उत्तराखंड में शराब की दुकान और बार आदि की संख्या बढ़ने के साथ ही जागरू कता कार्यक्रम सिकुड़ते गए। सरकार ने जागरू कता कार्यक्रमों पर एक तरह से विराम ही लगा दिया। इक्का दुक्का सामाजिक संगठन ही कभी कभार नशा उन्मूलन के कार्यक्रम चला रहे हैं।
नशा उन्मूलन के लिए अधिक से अधिक जागरू कता कार्यक्रमों की जरू रत है। पहाड़ मे बहुत तेजी से शराब और अन्य प्रकार के नशे का प्रचलन बढ़ रहा है। नशे के चलते कई आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। नशा उन्मूलन के लिए सामाजिक पहल जरू री है।
– डा.पीताम्बर अवस्थी, संयोजक, नशा उन्मूलन अभियान