उत्तराखंड

हक हकूकधारी बोले, तीर्थ सुधार ऐक्ट लागू कर हो तीर्थस्थलों का विकास

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नई टिहरी चारधाम तीर्थपुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने सरकार से तीर्थ सुधार ऐक्ट 1924 को लागू कर तीर्थों का विकास करने की मांग की। महापंचायत ने तीर्थस्थलों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जाने का विरोध किया। बैठक में महापंचायत ने मंदिर में टोपी और पल्ला रखकर प्रवेश किये जाने, देव प्रतिमाओं के साथ किसी व्यक्ति की मूर्ति न रखने, तीर्थ क्षेत्र में मांस-मदिरा प्रतिबंधित किए जान के प्रस्ताव भी पारित किए। इस मौके पर तीर्थ पुरोहितों की पत्रिका अमृत कुंभ का भी लोकार्पण किया गया। बुधवार को तीर्थनगरी देवप्रयाग स्थित श्री रघुनाथ मंदिर में महापंचायत की बैठक आयोजित की गयी। जिसमे बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री और त्रिजुगीनारायण के तीर्थपुरोहितों ने भाग लिया। बैठक में पुराना दरबार के ठाकुर भवानी प्रताप सिंह ने कहा कि, उनके पूर्वजों ने 1924 में तीर्थो और मंदिरों की व्यवस्था को तीर्थ सुधार ऐक्ट बनाया था। किंतु आज मंदिरों की व्यवस्था मनमाने ढंग से चल रही है। तीर्थों में अलग से यात्रा पुलिस गठित की जानी चाहिये। भैरव सेना के केंद्रीय अध्यक्ष संदीप खत्री ने भारत के अंतिम गांव माणा स्थित सरस्वती मंदिर में मृत व्यक्तियों की मूर्तियों को लगाने का विरोध किया। कहा कि, तीर्थों में हनीमून संस्ति हावी नहीं होने दी जाएगी। विद्वत सभा अध्यक्ष बिजेंद्र ममगाई ने कहा कि, तीर्थपुरोहितों और ब्राह्मणों के हितों के लिये सभा द्वारा अनेक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। सभा द्वारा सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों के लिये हवन जप किये गये थे। महापंचायत अध्यक्ष ष्ण कांत कोटियाल ने तीर्थपुरोहितों हक हकूकधारियों ने तीर्थ सुधार ऐक्ट लागू करने के लिये एक होने का आह्वान किया। जिससे तीर्थों को पर्यटन केंद्र बनाये जाने से रोका जा सके। सचिव हरीश डिमरी ने बदरीनाथ मास्टर प्लान में तीर्थ पुरोहितों को विस्थापित किये जाने को तानाशाही बताया। त्रिजुगीनारायण के पुजारी सच्चिदानन्द पंचपुरी ने कहा कि, बदरी केदार मंदिर समिति उनके हक हकूकों में दखल दे रही है। त्रिजुगीनारायण विवाह स्थल भर रह गया है। रानीखेत के सुरेश सुयाल ने कहा कि, तीर्थाटन पर पर्यटन हावी होने से तीर्थों की महत्ता खत्म हो रही है। बैठक में सत्यनाराण कोटियाल, ड. जमुना रैवानी, ड़क केएस रावत, सत्यप्रसाद सेमवाल, शांति प्रसाद रैवानी आदि ने भी विचार रखे।

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