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आगामी बजट सत्र गैरसैंण में न कराये जाने पर हरदा का धामी सरकार पर हमला

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देहरादून। विधानसभा चुनावों के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लगातार सोशल मीडिया के जरिए संवाद की कोशिशों में लगे हैं। कभी हरीश रावत धामी सरकार पर निशाना साधते हैं, तो कभी वो अपने मुद्दों को लेकर मुखरता रहते हैं। अब एक बार फिर हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर गैरसैंण को लेकर पोस्ट किया है। रावत ने विधानसभा का आगामी बजट सत्र गैरसैंण में न कराये जाने पर धामी सरकार पर हमला बोला है, साथ ही बताया है कि वो 14 जून को जरूर गैरसैंण जाएंगे और वहां से प्रदेश की जनता का अभिवादन करेंगे।
हरीश रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट में हरीश रावत ने लिखा, श्गैरसैंण-भराड़ीसैंण हम कितनी ही शब्दों की चासनी परोसें, मगर जब भी कोई ऐसा बहाना मिला है, जिससे गैरसैंण-भराड़ीसैंण से बचा जा सके, बड़े लोग बचे हैं। आखिर भराड़ीसैंण में ठंड लगती है, यह शब्द भी तो हमारे मान्यवरों के मुंह से ही निकला। सत्र कितने ही दिन का हो, जाते ही बिस्तर बांधकर वापस लौटने की तैयारी करते हुए भी हमारे मान्यवर ही दिखाई देते हैं। इस बार जो बहाना गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित न करने का लिया गया है, वह बहाना गैरसैंण और भराड़ीसैंण के साथ खड़े लोगों की भावनाओं का गंभीरतम अपमान है। हरदा ने आगे लिखा श्चारधाम यात्रा तो हर वर्ष होगी। हर वर्ष यात्रा में चुनौतियां आएंगी, तो इसका अर्थ है कि भराड़ीसैंण में कभी भी बजट सत्र नहीं होगा। बजट सत्र ही क्यों, कभी बरसात होगी, कभी ठंड होगी, तो भराड़ीसैंण का विधानसभा भवन केवल एक स्तूप के तरीके से हम सब लोगों के तित्व का साक्षी बनता रहेगा। मेरे लिए भराड़ीसैंण गैरसैंण की उपेक्षा, वह भी षड्यंत्रपूर्ण तरीके से उपेक्षा को सहन करना अत्यधिक कठिन है। इसलिए मैंने तय किया है कि मैं 14 जून को जब विधानसभा बैठेगी तो मैं भराड़ीसैंण में जाकर विधानभवन से सारे उत्तराखंड के लोगों को प्रणाम करूंगाश्। हरीश रावत ने लिखा कि, वो गैरसैंण के लोगों से इस तथ्य के लिए क्षमा चाहेंगे कि भराड़ीसैंण सहित उसके चारों तरफ के क्षेत्र जिनमें अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग व बागेश्वर जिले के कुछ क्षेत्र सम्मिलित हैं, वहां के विकास के लिए हमने 1000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किये। यह धन, राज्य की जनता का धन है। आज जिस तरीके से भराड़ीसैंण याचक के तौर पर वरमाला लिये अपने मान्यवरों के स्वागत के लिए एक टक निहार रहा है और उसकी माला स्वीकार करने के लिए न सरकार तैयार है, न मान्यवर तैयार हैं, तो ऐसी स्थिति में उनके जैसे व्यक्ति के लिए राज्य की जनता से क्षमा मांगने के अतिरिक्त और कुछ करना शेष नहीं है।
हरदा ने किया सवाल रू जो अपने को भराड़ीसैंण विचार के साथ जोर-शोर से जोड़ते हैं। जिनमें ग्रीष्मकालीन राजधानी और 25 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा करने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत, भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के विचार के जनक सतपाल महाराज, गैरसैंण में प्रथम कैबिनेट मीटिंग आहूत करने वाले विजय बहुगुणा और निरंतर गैरसैंण-भराड़ीसैंण की जागर लगाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल सहित कई लोगों से समय यह जरूर पूटेगा कि ऐसे समय में जब भराड़ीसैंण की उपेक्षा के लिए बहाना ढूंढ़ा जा रहा है तो आप कहां पर खड़े हैं?

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