हर्षवर्धन, निशंक, सदानंद गौड़ा और जावडेकर को छोड़ना पड़ेगा बंगला
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर हुए कैबिनेट मंत्रियों को अपना मौजूदा बंगला छोड़ने को कहा गया है। इसके बदले में उन्हें दूसरा बंगला चुनने को कह दिया गया है। नए मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को 27 सफदरजंग रोड वाला बंगला आवंटित किया गया है। इस बंगले में फिलहाल पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक रह रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन, सदानंद गौड़ा और प्रकाश जावडेकर को बंगला छोड़ने का नोटिस भेज दिया गया है। रामविलास पासवान के स्वजन को बंगला खाली करने को कहा गया है। इसमें फिलहाल सांसद चिराग पासवान अपनी मां के साथ रहते हैं।
कैबिनेट मंत्रियों को लुटियंस जोन में टाइप-आठ का बंगला आवंटित किया जाता है, जो लगभग तीन एकड़ में तैयार शानदार आठ कमरों का होता है। सभी सुख सुविधाओं से लैस इन बंगलों को कैबिनेट मंत्री पद हटते ही खाली करने का प्रविधान है। शहरी विकास मंत्रालय का एस्टेट डिपार्टमेंट इनका रखरखाव करता है, जबकि इन बंगलों का आवंटन संसद की आवासीय समिति करती है।
डाक्टर हर्षवर्धन के नाम आठ, 30 जनवरी मार्ग का बंगला है, जबकि रमेश पोखरियाल निशंक को 27 सफदरजंग रोड का बंगला मिला है। यह बंगला पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के नाम लंबे समय तक आवंटित रहा। इस बंगले से उनके बेटे व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बहुत लगाव है। सूत्रों के मुताबिक टाइप-आठ के इस बंगले का आवंटनोसधिया के नाम हो गया है। निशंक को टाइप-सात के बंगले में जाने का विकल्प दिया गया है, जिसके वह हकदार हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रहे थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया है। उन्होंने अपना बंगला छोड़ भी दिया है। 12, जनपथ रोड वाले पासवान के बंगले में कोई कैबिनेट स्तर का मंत्री ही रह सकता है। वरिष्ठता के हिसाब से चिराग पासवान उसके योग्य नहीं हैं। छह, कुशक रोड वाले बंगले में प्रकाश जावडेकर रहते हैं, जिसे उन्हें छोड़ना पड़ सकता है। हालांकि पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पहले ही टाइप-सात के बंगले में रहते हैं, जिसके वह हकदार हैं। डीबी सदानंद गौड़ा को एक, त्यागराज मार्ग का टाइप-आठ का बंगला मिला हुआ है, जिसे उन्हें छोड़ना पड़ेगा।
शहरी विकास मंत्रालय की ओर से पहला नोटिस जारी हो चुका है, जबकि जल्दी ही दूसरा नोटिस भी जारी किया जा सकता है। उन्हें बंगला खाली कर टाइप-सात के बंगलों में जाने को कहा गया है। टाइप-आठ के इन बंगलों को दूसरे कैबिनेट मंत्रियों के नाम आवंटन भी शुरू कर दिया गया है। बंगलों को खाली करने में होने वाली अनपेक्षित देरी पर इन सांसदों को न्यूनतम किराये का भुगतान भी करना पड़ सकता है। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि बंगलों के आवंटन अथवा छोड़ने की एक निर्धारित प्रक्रिया है, जिसके तहत कार्रवाई की जाती है।