हरियाणा और दिल्ली बढ़ाएंगे ऊर्जा प्रदेश की ऊर्जा, बैंकिंग के तहत ली हुई बिजली गर्मियों में लौटाएगा उत्तराखंड
देहरादून। सर्दियों में बिजली की किल्लत होने पर हरियाणा और दिल्ली उत्तराखंड का सहारा बनेंगे। बैंकिंग के तहत ऊर्जा निगम (उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड) इन दोनों राज्यों से चार माह तक आवश्यकतानुसार बिजली उधार लेगा। वहीं, जुलाई से अक्टूबर तक ऊर्जा निगम दिल्ली और हरियाणा को बिजली वापस देगा। इसके लिए प्रारंभिक चरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। संभवतरू दिसंबर में उत्तराखंड को दोनों राज्यों से बिजली मिलने लगेगी।
सामान्य तौर पर यूपीसीएल हर साल ही बिजली की कमी पूरी करने को बैंकिंग आधारित समझौते करता है। जिसमें आमतौर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान से बिजली का आदान-प्रदान किया जाता है। उत्तराखंड में सर्दियों में विद्युत उत्पादन बेहद कम होने के कारण उपलब्धता घट जाती है और खपत अधिक रहती है। आपूर्ति सुचारू रखने के लिए ऊर्जा निगम केंद्रीय पूल से बिजली खरीद के साथ ही अन्य राज्यों से बिजली उधार लेने का अनुबंध करता है।
बाजार से बिजली खरीद अक्सर महंगी होने के कारण बैंकिंग काफी अच्छा विकल्प होता है। ऐसे में इस बार ऊर्जा निगम की ओर से दिल्ली और हरियाणा के साथ बैंकिंग के तहत बिजली उधार लेने का अनुबंध किया जा रहा है। हालांकि, अभी ऊर्जा निगम ने बिजली की मात्रा को लेकर निर्णय नहीं लिया है। ऊर्जा निगम के निदेशक परिचालन एमएल प्रसाद का कहना है कि सर्दियों में उपलब्धता और मांग के अंतर को देखते हुए दिल्ली और हरियाणा के जरूरत के अनुसार बिजली उधार ली जाएगी। जिसे उत्पादन बढ़ने पर जून के बाद वापस लौटाया जाएगा। गर्मियों में नदियों का जल प्रवाह बढ़ने से उत्तराखंड में जल विद्युत परियाजनाओं से उत्पादन काफी बढ़ जाता है।
बीते वर्ष पंजाब ने उत्तराखंड के साथ बैंकिंग अनुबंध किया था, लेकिन उत्तराखंड में पर्याप्त विद्युत उपलब्धता होने के कारण पंजाब से अधिक बिजली उधार नहीं ली गई थी, जबकि पंजाब ने भी गर्मियों में 11 मिलियन यूनिट से भी कम बिजली वापस ली थी। सामान्यतरू उत्तराखंड नवंबर से मार्च तक बिजली उधार लेता है और जून से सितंबर तक बिजली वापस देता है।
ऊर्जा बैंकिंग टेंडर के माध्यम से की जाती है। इसमें राष्ट्रीय स्तर की ट्रेडर कंपनियां और राज्य प्रतिभाग करते हैं। ऊर्जा निगम लाभ वाले राज्य या ट्रेडर के साथ करार करता है। वहीं, निजी ऊर्जा कंपनियों से भी अनुबंध किया जा रहा है। यदि उपलब्धता पर्याप्त हो तो बिजली उधार नहीं ली जाती। ऐसे में गर्मियों में अधिक उपलब्धता पर ऊर्जा निगम बिजली बाजार में सीधे बेच सकता है।