क्या भारत की क्रिप्टो टैक्स नीति में बदलाव का समय आ गया है?

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नई दिल्ली, थाईलैंड सरकार ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए क्रिप्टो एसेट्स की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) पर पाँच साल के लिए टैक्स छूट देने की घोषणा की है। यह छूट 1 जनवरी 2025 से शुरू होकर 31 दिसंबर 2029 तक लागू रहेगी। यह कदम उनके पुराने टैक्स ढांचे को उलटता है, जिसमें प्रगतिशील कर दरें 35त्न तक जा सकती थीं। हालांकि, इस छूट का लाभ केवल उन लेनदेन पर मिलेगा जो थाई सरकार के साथ पंजीकृत एक्सचेंजों के माध्यम से किए गए हों। इस कदम का उद्देश्य अनधिकृत विदेशी एक्सचेंजों की मौजूदगी को कम करना और अधिक से अधिक निवेशकों को एक औपचारिक और विनियमित ढांचे में लाना है।यह उन कई देशों में से एक उदाहरण है जो क्रिप्टो ट्रेडिंग पर कर भार घटाते हुए इस नए क्षेत्र को विनियमित करने के उपाय खोज रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि भारत की तरह ही थाईलैंड में भी क्रिप्टो कंपनियों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी नियम लागू हैं, फिर भी सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा और विदेशी प्लेटफॉर्म्स को हतोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया।भारत का मौजूदा टैक्स ढांचा वित्त वर्ष 2022 के बजट में पेश किया गया था और अब इसे लगभग चार वर्ष पूरे हो चुके हैं। मौजूदा डेटा से यह स्पष्ट है कि इस नीति से वांछित परिणाम नहीं मिले। भारत में न केवल क्रिप्टो उपयोगकर्ताओं की बड़ी संख्या है, बल्कि इस क्षेत्र में डेवलपर्स और उद्यमियों का एक सशक्त इकोसिस्टम भी विकसित हुआ है । आगामी केंद्रीय बजट 2026 सरकार के लिए एक उपयुक्त अवसर प्रस्तुत करता है कि वह वैश्विक रुझानों का अध्ययन करे और मौजूदा कर नीतियों में आवश्यक संशोधन करे ताकि देश का हित और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा, दोनों सुनिश्चित रह सकें।

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