पाकिस्तान सीमा पर गरजेगा ‘हवाई टैंक, इस हफ्ते यूएस से भारत आ रही अपाचे हेलिकॉप्टरों की पहली खेप

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नई दिल्ली ,भारतीय सेना की मारक क्षमता में इस सप्ताह एक बड़ा इजाफा होने जा रहा है। अमेरिका से बहुप्रतीक्षित अपाचे ्र॥-64श्व अटैक हेलिकॉप्टरों की पहली खेप इसी हफ्ते भारत पहुँच रही है। पहली खेप के तहत तीन हेलिकॉप्टर मिलेंगे, जिन्हें रात के अंधेरे में भी दुश्मनों को खोजकर तबाह करने की उनकी काबिलियत के लिए जाना जाता है।
सूत्रों के अनुसार, इन ‘फ्लाइंग टैंक्सÓ कहे जाने वाले हेलिकॉप्टरों को पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा पर तैनात करने की तैयारी है। हेलिकॉप्टरों की लैंडिंग गाजियाबाद के हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर होगी, जिसके बाद इन्हें सेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा।
भारतीय सेना ने इन हेलिकॉप्टरों के लिए पहले से ही तैयारी पूरी कर ली है। जोधपुर में करीब 15 महीने पहले ही इनके लिए एक अलग बेड़ा तैयार कर लिया गया था। हालांकि, बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों और अन्य कारणों से इनकी डिलीवरी में लगातार देरी हो रही थी। यह डिलीवरी भारत और अमेरिका के बीच 2020 में हुए छह अपाचे हेलिकॉप्टरों के सौदे का हिस्सा है। पहले यह खेप मई-जून 2024 में मिलनी थी।
यह सेना के लिए खरीदे गए अपाचे हैं। इससे पहले भारतीय वायुसेना के लिए 2015 में 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों का सौदा हुआ था, जिनकी डिलीवरी 2020 में पूरी हो चुकी है। वायुसेना की दो अपाचे स्क्वाड्रन पहले से ही पठानकोट और जोरहाट में सक्रिय हैं।
अपाचे हेलिकॉप्टर की सबसे बड़ी खासियत इसका किसी भी मौसम और रात के घने अंधेरे में भी सटीक हमला करने की क्षमता है। यह अत्याधुनिक नाइट विजन नेविगेशन सिस्टम से लैस है, जो पायलट को अंधेरे में भी लक्ष्य को आसानी से पहचानने और भेदने में मदद करता है। इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल न केवल आक्रामक अभियानों में, बल्कि रक्षा और शांति अभियानों में भी प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
बता दें कि अमेरिकी कंपनी बोइंग और टाटा का हैदराबाद में एक संयुक्त उद्यम भी है, जहाँ अपाचे के ढांचे का निर्माण होता है। पिछले साल इस केंद्र में तैयार एक अपाचे हेलिकॉप्टर भारतीय सेना को सौंपा गया था।

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