उत्तराखंड

उच्च हिमालय की दारमा घाटी में भारी हिमपात

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धारचूला (पिथौरागढ़)। उच्च हिमालयी क्षेत्र में सोमवार रात भारी हिमपात हुआ है। मिलम से लेकर ओम पर्वत व आदि कैलास तक बर्फ की दो से चार फीट बर्फ की चादर बिछ गई है। दारमा घाटी में तीसरी बार हुए भारी हिमपात से करीब 400 जानवरों के साथ पशुपालक फंस चुके हैं। माइग्रेशन पर ले जाए गए जानवरों के लिए चारे व इंसानों के लिए भी खाद्यान्न का संकट पैदा हो गया है। दारमा तक जाने वाली मुख्य सड़क के अलावा गांवों तक पहुंचने वाले पैदल मार्ग भी बंद होने से ग्रामीणों के सामने हालात चुनौतीपूर्ण हो गए हैं।
उच्च हिमालय में इस साल नवंबर में ही दिसंबर जैसे हिमपात वाले हालात हो गए हैं। दारमा घाटी में स्थिति अधिक खराब है। घाटी को जोडने वाला सोबला-तिदांग-दारमा मार्ग 17 अक्टूबर से बंद है। ऐसे में घाटी में फंसे ग्रामीणों को प्रशासन ने हेलीकाप्टर से एयरलिफ्ट किया गया। दारमा के दुग्तू गांव में करीब 400 गाय, झुप्पु(बैल), घोड़े-खच्चर, भेड़-बकरी व कुत्तों के साथ 50 पशुपालक भी फंसे हुए हैं।
इन पशुपालकों के परिवार के अन्य सदस्यों को हाल में एयरलिफ्ट किया गया था। जानवरों के साथ ग्रामीणों को धारचूला तक करीब 80 किमी की दूरी पैदल ही तय करनी होती है। मगर जब तक पैदल व सड़क मार्ग नहीं खुलता है जानवरों और पशुपालकों का निचली घाटी तक आना संभव नहीं है। ग्रामीणों के पास राशन भी खत्म होने वाला है और चारे की व्यवस्था भी नहीं है।
धारचूला व मुनस्यारी तहसील के अंतर्गत निवास करने वाले ग्रामीण गर्मियों में अपने उच्च हिमालय वाले गांवों की ओर चले जाते हैं। इनके साथ जानवर भी होते हैं। अक्टूबर मध्य में ही ग्रामीण निचली घाटियों की ओर माइग्रेशन शुरू कर देते हैं। मगर इस बार 17 अक्टूबर को आपदा व उसके बाद मार्ग बंद होने से माइग्रेशन में खलल पड़ गया और ग्रामीण फंस गए।
एसडीएम धारचूला एके शुक्ला ने बताया कि लगातार हो रहा हिमपात मार्ग खोलने में बाधक बन रहा है। सीपीडब्ल्यू से जल्द मुख्य मार्ग को खोलने को कहा गया है। प्रशासन जानवरों के साथ फंसे ग्रामीणों को भी निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

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