हाईकोर्ट ने की सत्रांत लाभ की याचिका खारिज
गढ़वाल विवि के प्रो. नकली सिंह गए थे नैनीताल हाईकोर्ट की शरण
65 साल की आयु पूरी होने के बाद जून 2021 तक मांगा था सत्रांत लाभ
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर। नैनीताल हाइकोर्ट ने एचएनबी गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नकली सिंह की सत्रांत लाभ की याचिका खरिज कर दी है। उन्होंने सत्रांत लाभ के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक मामले में विवि को स्टे आर्डर दिया था।
गढ़वाल विवि में डीन स्कूल ऑफ लाइफ साइंस के पद पर तैनात प्रो. नकली सिंह बीते वर्ष 31 दिसंबर को सेवा निवृत्त हो गए थे। उनकी सेवानिवृत्ति की निर्धारित 65 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर की गई थी। सेवानिवृत्ति की प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के लिए प्रो. सिंह को विवि की ओर से 6 माह पूर्व नोटिस भी दिया गया था। जिस पर प्रो. सिंह ने सेवानिवृत्ति की प्रक्रियाएं पूर्ण करने संबंधी दस्तावेज विवि में जमा भी करा दिए थे। लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद प्रो. सिंह ने जून 2021 तक सत्रांत लाभ दिए जाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। गढ़वाल विवि के पीआरओ आशुतोष बहुगुणा ने बताया कि याचिका की पहली सुनवाई पर ही हाईकोर्ट ने मामले में स्टे के आर्डर जारी कर दिए। जिस पर विवि प्रशासन ने स्टे आर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में काउंटर फाइल किया। सुप्रीम कोर्ट ने स्टे आर्डर को खारिज करते हुए मामले के निस्तारण के लिए कहा। लेकिन प्रो. सिंह ने हाईकोर्ट में रिज्वाइंडर (प्रत्युत्तर) दाखिल कर दिया। हाईकोर्ट में विवि के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने जवाब देते हुए कहा कि शिक्षकों के लिए यूजीसी रेगुलेशन के मुताबिक सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल है। इसलिए उनको सत्रांत लाभ नहीं दिया जा सकता है। हाईकोर्ट के मुख्च न्यायाधीश राघवेंद्र चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार की खंडपीठ ने प्र्रो. ंसह की याचिका को खारिज कर दिया।