मथुरा भूमि विवाद पर हाईकोर्ट की कार्यवाही जारी रहेगी, सुप्रीम कोर्ट में 9 जनवरी को सुनवाई
नई दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह भूमि विवाद से संबंधित मुकदमों पर कहा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दोनों पक्षों की दलीलों को सुने बिना उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।
शुक्रवार को शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आदेश के बाद हाईकोर्ट ने मथुरा की निचली अदालत के समक्ष लंबित विवाद से संबंधित सभी मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “दोनों पक्षों को सुने बिना, उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा। पिछली बार, हमने इस पर रोक नहीं लगाई थी। अब, आप कहते हैं कि कुछ और कहा जाना बाकी है। इसका मतलब यह नहीं है कि वहां रुकना होगा।”
कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की तरफ से दायर याचिका पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ में सुनवाई हुई। पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह भी शामिल हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया। कमेटी ने उच्च न्यायालय के 26 मई के आदेश को चुनौती दी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष कुल मिलाकर 18 याचिकाएं लंबित हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके पास मुकदमा लड़ने के लिए इलाहाबाद जाने के लिए वित्तीय साधन नहीं हैं। मथुरा से इलाहाबाद की दूरी लगभग 600 किमी से अधिक है।
वकील ने कहा कि दिल्ली में मुकदमों की सुनवाई उनके लिए सुविधाजनक होगी, क्योंकि मथुरा से राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने में दो से तीन घंटे लगते हैं। पीठ ने कहा कि इस दलील को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है क्योंकि दिल्ली की अदालत पर पहले से ही अत्यधिक बोझ है। न्यायमूर्ति कौल ने कहा, “व्यक्तिगत रूप से, मैं इलाहाबाद उच्च न्यायालय पर अविश्वास नहीं दिखा सकता।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”यह हमें स्वीकार्य नहीं है कि आप दिल्ली आ सकते हैं लेकिन इलाहाबाद नहीं जा सकते।” पीठ ने कहा कि उसे मामले की सुनवाई करनी होगी और उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का परीक्षण करना होगा। पीठ ने कहा, “हमें सुनना होगा कि हम इसे मुकदमे के रूप में क्यों लें? इसे किसी अन्य सामान्य मामले की तरह ही रहने दें।”
पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई करनी होगी और दोनों पक्षों से कहा कि वे अपनी दलीलों को संक्षेप में दाखिल करें जो तीन पृष्ठों से अधिक का न हो। अदालत ने मामले को 9 जनवरी को सुनवाई के लिए पोस्ट किया।