हाईकोर्ट ने मोहान दवा कंपनी पर केंद्र से जवाब मांगा

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हल्द्वानी। हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा जिले के मोहान में स्थित दवा कंपनी इंडियन मेडिसिन एंड फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) के मामले में केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। आईएमपीसीएल कामगार संघ की ओर से दवा कंपनी को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने को चुनौती देती याचिका पर शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में सुनवाई हुई। संघ की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि 2023 में भारत सरकार के विनिवेश मंत्रालय ने मोहान की आईएमपीसीएल कंपनी की बिक्री की प्रक्रिया शुरू की है। जबकि इस विनिवेश पर आयुष मंत्रालय के सचिव पहले ही आपत्ति जता चुके हैं। सांसद अजय भट्ट ने भी सरकार को लिखा है कि यह विनिवेश प्रक्रिया उत्तराखंड राज्य के हित के विरुद्ध है। उत्तराखंड राज्य ने कभी भी ऐसे विनिवेश के लिए सहमति नहीं दी है। याचिका में कहा है कि आईएमपीसीएल का प्रस्तावित विनिवेश, भारत सरकार की विनिवेश नीति के भी विरुद्ध है। सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि दो सप्ताह बाद की तय की है।
ये दलीलें दी गईं
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि न्यायालय के समक्ष इस संबंध में दलीलें दी गई हैं। पहला यह कि लगातार लाभ कमाने वाली कंपनी का विनिवेश सार्वजनिक नीति के खिलाफ है। दूसरी दलील है कि अधिकांश बोलीदाताओं को फार्मास्युटिकल उद्योग का कोई पूर्व अनुभव नहीं है। तीसरी दलील है कि यह मूल रूप से 100 एकड़ की वन भूमि है। वर्ष 1977 में जब इसे आईएमपीसीएल को हस्तांतरित किया गया था तो शर्त रखी गई थी कि यदि आईएमपीसीएल को इस भूमि की आवश्यकता नहीं होगी, तो यह वन विभाग को वापस मिल जाएगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि ऐसे में विनिवेश की आड़ में यह निजी कंपनियों को 100 एकड़ वन भूमि की अवैध बिक्री है। भारत सरकार की विनिवेश नीति यह स्पष्ट करती है कि ऐसा कोई भी विनिवेश नहीं किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप देश के भौतिक प्राकृतिक संसाधनों का हस्तांतरण हो।

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