उत्तराखंड

नंधौर में खनन पर हाईकोर्ट की रोक, जारी रहेंगे बाढ़ राहत काम

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नैनीताल। हाई कोर्ट ने नंधौर ईको सेंसिटिव वन क्षेत्र में बाढ़ राहत योजना के तहत खनन की अनुमति देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले को सुनने के नदी से खनिज के दोहन पर रोक लगाते हुए बाढ़ राहत कार्यजारी रखने का आदेश दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में चोरगलिया निवासी दिनेश कुमार चंदोला की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि हल्द्वानी का नंधौर क्षेत्र ईको सेंसटिव जन में आता है। इस क्षेत्र में सरकार ने बाढ़ से बचाव के कार्यक्रम के नाम पर खनन करने की अनुमति दी है।
इसका फायदा उठाते हुए खनन कंपनी मानकों के विपरीत खनन कर रही है। एकत्रित माल को क्रशर के लिए ले जाया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। सेंसटिव जोन में खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती, यह पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड व ईको सेंसटिव जोन की नियमावली के विरुद्घ है, इस पर रोक लगाई जाए।
नैनीताल- हाई कोर्ट ने कोटद्वार में स्थापित सिद्घबली स्टोन क्रशर हटाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय व राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को पक्षकार बनाने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिए हैं। पक्षकारों को 18 जून तक अपना पक्ष कोर्ट में रखना होगा।
कोटद्वार निवासी देवेंद्र सिंह अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कोटद्वार में राजाजी नेशनल पार्क के रिजर्व फारेस्ट में सिद्घबली स्टोन क्रशर लगाया गया है। जो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को पूरा नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन में कहा गया है कि कोई भी स्टोन क्रशर नेशनल पार्को के 10 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के भीतर स्थापित नहीं किया जा सकता। जबकि यह स्टोन क्रशर साढ़े छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस मामले में सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश कर कहा था कि यह क्रशर सड़क से 13 किलोमीटर दूर है। जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि दूरी मापने के लिए एरियल डिस्टेंस है न कि सड़क। सरकार ने इसे सड़क मार्ग से मापा है जो गलत है। सिद्घबली स्टोन क्रशर पीसीबी के मानकों को भी पूरा नहीं करता है। इससे क्षेत्र के साथ-साथ वन्यजीव भी प्रभावित हो रहे हैं। लिहाजा इसको हटाया जाए या इसके संचालन पर रोक लगाई जाय।

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