हाईकोर्ट मुख्य सचिव के हलफनामे से संतुष्ट नहीं, दोबारा शपथपत्र मांगा
नैनीताल। हाई कोर्ट ने राज्य में वित्तीय लेनदेन डिजिटल माध्यम से करने के लिये राज्य सरकार की अधित कम्पनी की वित्तीय अनियमितता के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मुख्य सचिव की ओर से पेश शपथपत्र से सन्तुष्ट न होकर दोबारा दो सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 17 मार्च की तिथि नियत की है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खण्डपीठ में देहरादून की आरटीआई कार्यकर्ता सीमा भट्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा कि कैशलैस लेनदेन को बढ़ावा देने के केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में राज्य सरकार ने शुरू में डिजिटल लेनदेन एनआईसी के माध्यम से किया, लेकिन बाद में इस कार्य हेतु टेंडर निकला गया। जिस कम्पनी के नाम टेंडर हुआ वह ब्लैकलिस्ट हो गई किंतु उसके बाद पुन: टेन्डर व अन्य प्रक्रियाएं पूरी करने के बजाय सरकार ने एक अन्य कम्पनी को यह काम सौंप दिया।
इस कम्पनी को पूरे प्रदेश के सरकारी विभागों के लेनदेन की इंटीग्रेटेड मनिटरिंग करने का ज्ञान नहीं था। जिस कारण कम्पनी द्वारा बड़े स्तर पर वित्तीय गड़बड़ियां की जा रही हैं । याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने एक व्यक्ति को 14 हजार का भुगतान करना था जिसे इस कम्पनी ने एक करोड़ का भुगतान कर दिया । इसी तरह कई विभागों के कर्मचारियों के खाते में एक माह के बजाय तीन माह का वेतन चला गया था।