हिमाचल उच्च न्यायालय ने विमल नेगी की रहस्यमय मौत की जांच सीबीआई को सौंपी

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शिमला , हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता एवं महाप्रबंधक विमल नेगी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुयी मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया है। अदालत ने श्री नेगी की पत्नी किरण नेगी द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार करने के बाद यह आदेश सुनाया। याचिका में राज्य पुलिस द्वारा मामले को छुपाने की आशंका व्यक्त की गयी थी। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी के नेतृत्व में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच के तरीके पर गहरी चिंता व्यक्त की।
अदालत ने कहा कि पुलिस द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट में गंभीर खामियों का संकेत मिलता है और मृतक के परिवार द्वारा उठाए गए संदेह में पर्याप्त दम है जिसके लिए सीबीआई जांच की आवश्यकता है। न्यायालय ने आदेश दिया कि सीबीआई जांच में राज्य कैडर का कोई भी अधिकारी शामिल न हो, ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सके। यह फैसला 21 मई को एडवोकेट जनरल अनूप रतन और मृतक के परिवार की ओर से पेश पूर्व एडवोकेट जनरल आर.के. बावा के बीच लगभग तीन घंटे की गरमागरम बहस के बाद आया। अदालत में जो बात सामने आई वह निंदनीय थी, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अतुल वर्मा ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें जांच को पटरी से उतारने और शक्तिशाली व्यक्तियों को बचाने के लिए कथित व्यवस्थित प्रयास की ओर इशारा किया गया था।
वर्मा की रिपोर्ट के अनुसार शिमला के पुलिस अधीक्षक ने जांच में सक्रिय रूप से बाधा डाली। उन्होंने विशेष जांच दल (एसआईटी)अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे डीजीपी के साथ कोई भी रिकॉर्ड साझा न करें और यहां तक कि फोरेंसिक विभाग के निदेशक को फोरेंसिक रिपोर्ट भेजने से भी रोक दिया। रिपोर्ट में विशेष रूप से परेशान करने वाले खुलासे में कहा गया है कि 18 मार्च को एएसआई पंकज द्वारा नेगी के शव से बरामद पेन ड्राइव को तीन दिन बाद फॉर्मेट किया गया था। बाद में फोरेंसिक जांच में पता चला कि पेन ड्राइव में एचपीपीसीएल की दो परियोजनाओं – कडछम और पेखुबेला – से संबंधित संवेदनशील जानकारी थी, जो करीब 12.70 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं का संकेत देती है।
शव को बरामद करने में शामिल अधिकारियों के फोन से प्राप्त चैट में कथित तौर पर 20 मार्च को पेन ड्राइव को बदलने के बारे में बातचीत है। डीजीपी ने कहा कि बार-बार निर्देश देने के बावजूद संबंधित अधिकारियों के कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) कभी प्रस्तुत नहीं किए गए। सीबीआई की ओर से जांच शुरू होते ही ध्यान वरिष्ठ नौकरशाहों और तकनीकी विशेषज्ञों की संभावित भागीदारी पर केंद्रित हो जायेगा। नेगी परिवार और हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के कर्मचारी लंबे समय से कहते आ रहे थे कि मूल एसआईटी जांच भ्रष्टाचार के सबूतों को दबाने के लिए एक ईमानदार अधिकारी की मौत को आत्महत्या के रूप में चित्रित करने का एक प्रयास था।

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