श्रीनगर गढ़वाल : हिमालय मूवमेंट एवं पर्वतीय विकास शोध केंद्र की ओर से गुरुवार को श्रीदेव सुमन की शहादत दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर टिहरी जनक्रांति के नायक अमर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गुरुवार को आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि हिमालय अत्यधिक प्रेरणा का स्रोत है और प्रकृति की देन हैं। इसके पेड़, नदी, ग्लेशियर, जंगल, जमीन बिकाऊ नहीं बल्कि टिकाऊ बनाये रखने में हमारी भूमिका होनी चाहिए। बतौर मुख्य अतिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मोहन सिंह पंवार ने कहा कि हिमालय राज्य पर्यावरण दृष्टि से भी अति संवेदनशील है। कहा कि मानवीय विकास की छेड़छाड़ से ही अधिकांश भूस्खलन, भूधंसाव की समस्या पैदा होती है। इस संबंध में समय-समय पर वैज्ञानिकों, भूगर्भवेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वैच्छिक संगठनों ने कई अध्ययन करके महत्वपूर्ण दस्तावेज सरकार को दिए हैं। सेव हिमालय मूवमेंट के अध्यक्ष समीर रतूड़ी ने कहा कि हिमालय बदलते मौसम व जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करता है। वनों के अनुदान कटान, एकल प्रजाति के शंकुधारी वनों का विस्तार, चौड़ी पत्तियों के वनों की निरंतर कमी, सूखते जल स्रोत आदि कई घटनायें हैं जो मानवकृत हैं। इसको नियंत्रित करने के उपाय की तत्काल आवश्यकता है। इस मौके पर पर्वतीय विकास शोध केंद्र नोडल अधिकारी डा. अरविंद दरमोड़ा, अवकाश प्राप्त कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष पीसी नौटियाल, शंभू प्रसाद भट्ट, जमुना प्रसाद काला, राजाराम जोशी, गणेशराम टम्टा, बरतराज बहुगुणा, थापाराम पुरी, अनुसूया प्रसाद पांडे, प्रेमलाल केवट, अंशीलाल आदि मौजूद थे। (एजेंसी)