उत्तरकाशी(। उत्तरकाशी के दयारा बुगयाल में शनिवार को पारंपरिक अढूड़ी उत्सव (बटर फेस्टिवल) का आयोजन किया गया। गत पांच अगस्त को धराली में आई आपदा के चलते दयारा पर्यटन उत्सव समिति की ओर से इस लोक पर्व को सादगी से मनाया गया। इस अवसर पर ग्रामीणों ने दयारा बुगयाल पहुंचकर स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना की और एक दूसरे को मक्खन -मट्ठा की होली खेली। उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में प्रति वर्ष भाद्रपद की संक्राति के अवसर पर पारंपरिक अढूड़ी उत्सव (बटर फेस्टिवल) का आयोजन किया जाता है। जिसमें स्थानीय ग्रामीणों सहित देश विदेश के पर्यटक बड़ी संख्या में प्रतिभाग करते हैं। लेकिन गत पांच अगस्त को हर्षिल -धराली में आई भीषण आपदा के चलते ग्रामीणों की ओर से इस पारंपरिक अंढूड़ी उत्सव को 20 दिन बाद शनिवार को सादगी के साथ आयोजित करना पड़ा। तय कार्यक्रम के अनुसार रैथल के ग्रामीण शनिवार सुबह दयारा बुगयाल पहुंचे। जहां पर सभी ग्रामीणों ने स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना की और मक्खन मट्ठा की होली खेली। इस मौके पर ग्रामीणों ने दयारा बुग्याल में राधा -कृष्ण की जोड़ी के साथ ढोल की थाप पर पारंपरिक रासौ नृत्य किया और प्राकृतिक सौदंर्य से अच्छादित मखमली बुगयाल का लुफ्त उठाया। वहीं देर सांय को समिति की ओर से रैथल गांव में धराली आपदा में दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए श्रद्धांजलि सभा आयोजित की और मृतकों की आत्मा शांति की प्रार्थना की। ये रहे मौजूद इस मौके पर समिति के अध्यक्ष मनोज राणा, क्षेत्र पंचायत सदस्य मोहन कुशवाल, पांच माल गुजार किशन सिंह राणा,सुबेन्द्र सिंह राणा,राजवीर रावत , विजय सिंह राणा, कुलवीर रावत , महेंद्र पोखरियाल ,शैलेन्द्र राणा , सुमित रतूड़ी , अनुज रावत, बलवीर पंवार , भागेश पंवार ,वीरेश रतूड़ी , प्रद्युमन रावत, यशवीर राणा,चंद्रमोहन सिंह, महिला मंगल तथा युवक मंगल दल रैथल के सदस्यों के साथ ग्रामीण मौजूद रहे।