पहाड़ों में विषयम परिस्थितियों में काम कर रही आशायें
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने सरकार पर अनदेखी और सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार आशाओं से कई तरह के काम करवाती है, जिनका उन्हें कोई मानदेय नहीं मिलता है। आशाओं का केवल दो कार्यों के लिए चयन किया गया था, लेकिन आज सरकार विभाग से संबंधित सभी कार्य बिना मानदेय के आशाओं से करवा रही है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में बहुत ही विषम परिस्थितियों में आशायें काम कर रही है। इसलिए सरकार जल्द से जल्द आशाओं की मांगों पर शासनादेश जारी करें।
आशा कार्यकत्रियों ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 38वें दिन बुधवार को तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार शासनादेश जारी नहीं करेगी तब तक उनका कार्यबहिष्कार जारी रहेगा। अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी ने कहा कि संगठन लंबे समय से आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने सहित 12 सूत्रीय मांगों को पूरा करने की मांग कर रहा है। प्रदर्शन करने वालों में उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, कल्पना काला, भागीरथी भंडारी, राखी, लक्ष्मी गुसांई, गोदाम्बरी, मंजू नेगी, पूनम डोभाल, प्रमिला गुसांई, नीलम कुकरेती, सुनीता, कांति कंडवाल, सीमा शाही, अनीता, सुमन राठौर आदि शामिल थे