चमोली : कई वर्षों से जोशीमठ, उर्गम, निजमुला, नंदानगर क्षेत्र से बड़ी संख्या में घोड़ा-खच्चर संचालक केदारनाथ यात्रा मार्ग पर तीर्थयात्रियों को अपनी सेवाएं देते आ रहे। मंगलवार को घोड़ा-खच्चर संचालकों ने बताया उनके साथ सोनप्रयाग और गौरीकुंड में सौतेला व्यवहार हो रहा है। कुछ घोड़ा खच्चर संचालक वापस लौटने लगे हैं। केदारनाथ यात्रा को शुरु हुए 11 दिन से अधिक का समय हो गया है अभी भी चमोली के घोड़ा-खच्चर संचालकों को लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है। घोडा संचालकों ने बताया कि अब जेब का पैसा भी समाप्त हो गया है, जिससे वे अब बैरंग लौटने लगे हैं। घोड़ा-खच्चरों को चना खिलाने तक के लिए पैसे जुटाने मुश्किल हो रहा है। निजमुला घाटी के सैंजी वार्ड से जिला पंचायत प्रतिनिधि भरत सिंह राणा, कमल सिंह पंवार, विरेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि चमोली के लगभग पांच हजार घोड़े-खच्चर संचालकों की रोजी रोटी का जरिया केदारनाथ यात्रा ही है। (एजेंसी)