हार्ट अटैक का ‘हॉटस्पॉटÓ बना ये जिला! एक महीने में 18 मामलों के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, जांच के आदेश

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हासन ,। कर्नाटक के हासन जिले में हाल के दिनों में हृदय आघात के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इस गंभीर स्थिति का संज्ञान लेते हुए, बढ़ते मामलों की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने और उनसे विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
मंत्री दिनेश गुंडू राव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्सÓ पर एक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी कि हासन जिले में पिछले एक महीने के भीतर हृदय आघात के 18 मामले सामने आए हैं, जिसे स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने पहले ही विभाग के उच्च अधिकारियों को जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के निदेशक के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ टीम गठित कर इन बढ़ते हृदय आघात के मामलों की गहन जांच करने और जल्द से जल्द एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
गुंडू राव ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने पहले से ही हृदयाघात के मामलों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ‘पुनीत राजकुमार हृदय ज्योति योजनाÓ शुरू की है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हाल के दिनों में युवाओं में हृदय आघात के बढ़ते मामलों पर गहराई से शोध करने की आवश्यकता है ताकि इसके अंतर्निहित कारणों का पता लगाया जा सके।
यद्यपि चिकित्सकों का मानना है कि बदलती जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर खानपान की आदतें और गैर-संचारी रोग हृदय संबंधी समस्याओं के प्रमुख कारण हो सकते हैं, लेकिन हासन में सामने आए मामलों की संख्या ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े कर दिए हैं। इन सवालों के समाधान और समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम को अनुसंधान करने और अगले 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
गौरतलब है कि हृदय आघात तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों तक रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिसका मुख्य कारण आमतौर पर कोरोनरी धमनियों में रुकावट होती है। यह रुकावट अक्सर कोलेस्ट्रॉल, वसा या प्लाक के जमा होने के कारण होती है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस के नाम से जाना जाता है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान और मोटापा जैसे कारक हृदय आघात के खतरे को बढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त, तनाव, अनियमित जीवनशैली और आनुवंशिक कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जबकि हानिकारक आहार इस संभावना को और अधिक बढ़ा देता है।
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