बिग ब्रेकिंग

कर्बेट नेशनल पार्क में अवैध अतिक्रमण पर नैनीताल हाई कोर्ट का बड़ा आदेश

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नैनीताल । हाई कोर्ट ने कर्बेट टाइगर रिजर्व में मोरघटि, पाखरो क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण पर तल्ख टिपणियां की। कहा कि राज्य के मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव वन एवं प्रमुख सचिव पर्यावरण को तत्काल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश पारित किए हैं।
गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून निवासी अनु पंत के साथ ही हाईकोर्ट की ओर से स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर एकसाथ सुनवाई हुई। दून की अनु पंत की याचिका में कहा गया जिस अधिकारी को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 1999 में विजिलेंस रिपोर्ट में दोषी पाया गया था, जिस पर जंगली जानवरों की खाल की खरीद फरोख्त जैसे गंभीर अपराधों की पुष्टि हुई थी। यह स्पष्ट निर्णय लिया गया था कि ऐसे अधिकारी को किसी संवेदनशील जगह तैनाती नहीं दी जाएगी, उसी प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद को कालागढ़, कर्बेट टाइगर रिजर्व जैसे अति संवेदनशील स्थान में तैनाती दी गयी। जब कर्बेट में अवैध निर्माण की गतिविधियां शुरू हुई और राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण प्राधिकरण ने जांच रिपोर्ट तैयार की गयी, उसमें भी वन प्रभागीय अधिकारी किशन चंद को इस पूरे अवैध निर्माण के लिए दोषी पाया गया। इसके बाद हाई कोर्ट के दिशा निर्देश में उच्च स्तरीय समिति गठित हुई। समिति में वन विभाग के विभागाध्यक्ष राजीव भरतरी की अध्यक्षता में एक और रिपोर्ट में भी किशन चंद को गड़बड़ी का दोषी पाया गया।
तत्कालीन मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने किशन चंद पर कोई कार्रवाई नहीं की। यह भी कहा गया कि जांच के दौरान ही वन मंत्री ने किशन चंद की तारीफ की थी। हाई कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल होने के बाद तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक, राजीव भरतरी को शासन ने पद से हटा दिया। शासन ने 25 नवंबर को किशन चंद के भी स्थानांतरण के आदेश पारित किये थे, परन्तु आदेशों का कभी क्रियान्वयन नहीं किया गया और किशन चंद आज की तिथि तक दूसरे अधिकारी को चार्ज नहीं सौंप रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने पूछा की जांच के दौरान, वरिष्ठ अधिकारियों का इस तरीके से स्थानांतरण किस आधार पर किया गया। कोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित कर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव पर्यावरण को इस गड़बड़ी में दोषी पाये गए अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करने और चार्ज हैंडओवर सुनिश्चित करने के सख्त आदेश दिए हैं। अगली तिथि शीतकालीन अवकाश के समाप्त होने के बाद 14 फरवरी को नियत की गयी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!