बारिस नहीं हुयी तो कहर ढायेगी जंगल की आग

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देहरादून। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों में लगी आग वन विभाग के लिए मुसीबत बन गई है। रोज वनाग्नि के मामले सामने आ रहे हैं। सोमवार से बीते 24 घंटे में 27 स्थानों पर वनाग्नि की घटनाएं रिपोर्ट की गईं। यदि आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो जंगल की यह आग और विकराल रूप ले सकती है।
वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय की ओर से सोमवार शाम चार बजे तक जारी बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में वनाग्नि की 16 घटनाएं गढ़वाल तो 10 घटनाएं कुमाऊं क्षेत्र में हुईं। गढ़वाल में आरक्षित वन क्षेत्र में 15 और सिविल वन पंचायत क्षेत्र में एक जगह जंगल में आग लगी। वहीं, कुमाऊं में वनाग्नि की 10 घटनाएं आरक्षित वन क्षेत्र में हुईं, इसके अलावा संरक्षित वन्य जीव क्षेत्र में भी आग की एक घटना रिपोर्ट की गई। प्रदेश में वनाग्नि की कुल 27 घटनाओं में 42 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जबकि करीब एक लाख रुपये से अधिक के आर्थिक नुकसान का आकलन किया गया है।
मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने समाचार एजेंसी आरएनएस को बताया कि प्रदेश में अब तक 604 वनाग्नि की घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं। जंगल में आग की इन घटनाओं से कुल 822 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जबकि 23 लाख रुपये के अधिक के आर्थिक नुकसान का जायजा लिया गया है। मंगलवार को जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से लगे अमसारी एवं जयमंडी में जंगल की आग भड़की गई। अग्निशमन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन घंटों मशक्कत के बाद आग पर काबू पा सकी।
उधर, पौड़ी जिले की श्रीनगर रेंज और टिहरी जिले की कीर्तिनगर रेंज में जंगल आग में धधकते रहे। गोरख्यासैंण, श्रीकोट, चमढांग और खलू-चमराड़ा में जंगल आग की चपेट में हैं। कीर्तिनगर रेंज में आग सिविल क्षेत्र से रिजर्व फरेस्ट में पहुंच गई है।
वर्तमान में वनाग्नि की सबसे विकराल स्थिति श्रीनगर रेंज के श्रीकोट गंगनाली व सरणा में बनी हुई है। यहां रविवार दिन से जंगल आग में जल रहे हैं। आग से कई वर्ग किमी क्षेत्र में वन संपदा जलकर राख हो गई है।

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