दिल्ली के जय हिंद कॉलोनी की घटना पर सीएम ममता तमतमाई
तृणमूल प्रमुख ने भाजपा पर बांग्ला-विरोधी एजेंडा अपनाने का आरोप लगाया
कोलकाता , बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक बार फिर बांग्ला भाषियों के साथ कथित उत्पीड़न पर केन्द्र की मोदी सरकार व अन्य राज्यों में भाजपा सरकार के कथित बांग्ला विरोधी क्रियाकलापों पर न सिर्फ ऊंगली उठाई बरन चेताया कि, अगर यहीं हालात रहे तो वह खामोश नहीं बैठेगी। सीएम ममता बनर्जी ने अपने फेसबुक पर लिखा की, नई दिल्ली के वसंत कुंज स्थित जय हिंद कॉलोनी में उत्पीड़न की भयावह घटनाओं की खबर सुनकर मैं बेहद स्तब्ध और व्यथित हूं। यह बस्ती मुख्यत: बांग्ला भाषी लोगों द्वारा बसाई गई थी, जो दिल्ली को आकार देने वाले असंगठित श्रम बल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। सीएम ने आगे लिखा, सुना जा रहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के आदेश पर उनकी जल की आपूर्ति बंद कर दी गई है। कुछ दिन पहले, अचानक बिजली काट दी गई और बिजली के मीटर उतार दिए गए। वहां के निवासियों का आरोप है कि उन्होंने अपने पैसों से जो निजी पानी के टैंकर मंगवाए थे, उन्हें दिल्ली पुलिस और आरएएफ की मदद से रोक दिया गया। पिछले दिसंबर में इस संबंध में दिल्ली पुलिस के अवांछित हस्तक्षेप के बाद, मामला अदालत में लंबित होने के बावजूद, एक तरह से जबरन बेदखली चल रही है। अगर आश्रय, पानी और बिजली जैसे बुनियादी अधिकारों को इस तरह कुचला जाएगा, तो हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य होने का दावा कैसे कर सकते हैं? पश्चिम बंगाल में डेढ़ करोड़ से ज़्यादा प्रवासी मज़दूर हैं, जो सम्मान के साथ रहते हैं। लेकिन भाजपा शासित राज्यों में यह बात ज़ोर देकर नहीं कही जा सकती, जहां बांग्ला भाषी भाषियों को अपने ही देश में घुसपैठिया समझा जाता है। सिफ़र् इसलिए कि कोई बंगाली बोलता है, वह बांग्लादेशी नहीं हो जाता। उनकी भाषा चाहे जो भी हो, वे भारत के नागरिक हैं और उन्हें किसी भी भारतीय नागरिक की तरह समान अधिकार प्राप्त हैं।
भाजपा ने अब देश के अन्य हिस्सों में भी वही बांग्ला भाषी -विरोधी अभियान चलाने की रणनीति अपनाई है, जो पश्चिम बंगाल में बंगालियों के अधिकारों को छीनने में नाकाम रही। गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश से भी बंगाली भाषियों पर अत्याचार की खबरें आ रही हैं। अब उस नफ़रत की छाया राष्ट्रीय राजधानी तक पहुँच गई है।
अगर इस देश में बंगाल के लोगों के साथ बिन बुलाए मेहमान जैसा व्यवहार किया गया, तो हम चुप नहीं रहेंगे। बंगाल सभी उत्पीड़ित आवाज़ों के साथ खड़ा होगा। हम इस अन्याय के ख़िलाफ़ हर जगह आवाज़ उठाएंगे।
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