जाति प्रमाण पत्र बनाने मेंं हो रही नियमों की अनदेखी
भाबर क्षेत्र के लोगों ने जिलाधिकारी को भेजा पत्र
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
भाबर क्षेत्र के अंतर्गत झंडीचौड़ के लोगों ने प्रशासन पर अनूसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग को जाति प्रमाण-पत्र निर्गत करने में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया है। कहा कि इस संबंध में पूर्व में भी शिकायत करने पर इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। जबकि, वर्ष 2012 में न्यायालय ने भी प्रशासन को आदेश जारी किए थे।
शनिवार को झंडीचौड़ निवासी शांति देवी व बृजमोहन वर्मा ने जिलाधिकारी डा.विजय कुमार जोगदंडे को ज्ञापन भेजा। उन्होंने कहा कि अगस्त 2012 को उच्च न्यायालय ने जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के संबंध में आदेश जारी किए थे। इसके तहत एससी, एसटी व ओबीसी के व्यक्ति को जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए नवंबर 2000 या उससे पूर्व उत्तराखंड राज्य का निवासी होना आवश्यक है। प्रमाण पत्र लेने के लिए व्यक्तियों को केवल इसका शपथ पत्र देना होगा कि उसने किसी अन्य राज्य से जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवाया है। लेकिन, कोटद्वार तहसील प्रशासन जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए एससी, एसटी व ओबीसी के व्यक्तियों को परेशान कर रहा है। जाति प्रमाण पत्र देने के लिए खाता खतौनी, बंदोबस्त, राशन कार्ड, जाति- उपजाति के साक्ष्य सहित कई अन्य दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। साथ ही व्यक्तियों से उत्तराखंड में वर्ष 2000 से पूर्व का स्थायी निवास भी मांगा जा रहा है।