अवैध खनन के कारण वर्षाकाल में नदियों ने मचाया था खूब तांडव
लगातार हुए नुकसान के बाद भी सरकारी सिस्टम नहीं दे रहा ध्यान
जयन्त प्रतिनिधि ।
कोटद्वार : बरसात में अवैध खनन के कारण जहां मालन नदी का पुल ढह गया था। वहीं, आबादी तक पहुंची नदियों ने खूब तांडव मचाया। खोह नदी के वेग से कई भवन ताश के पत्तों के समान ढह गए थे। ऐेसे में होना तो यह चाहिए था कि सरकारी सिस्टम अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगे। लेकिन, सिस्टम की लापरवाही के कारण नदियों में अब भी अवैध खनन का खेल चल रहा है। सुबह गधों में लादकर व रात को ट्रैक्टर-ट्रॉली से उपखनिज की चोरी की जा रही है। जबकि, क्षेत्रवासी इसकी शिकायत कई बार उच्चाधिकारियों से भी कर चुके हैं।
अप्रैल माह में अवैध खनन का दंश झेलने के बाद भी सरकारी सिस्टम लापरवाह बना हुआ है। नतीजा, खोह, मालन व सुखरो नदी में अब भी अवैध खनन का खेल जारी है। खोह नदी के तट पर राजकीय स्टेडियम में हाकी के मैदान का हिस्सा नदी की भेंट चढ़ चुका है। बावजूद इसके बची हुई नीव को अब भी खोदा जा रहा है। यही हाल काशीरामपुर तल्ला से कुंभीचौड़ को जोड़ने वाले पुल पर भी देखने को मिल रहा है। हालत यह है कि गधों से सामग्री ढोने वाले पुल की नींव के आसपास की सामग्री निकाल रहे हैं। ऐसे में अब इस पुल पर भी खतरा मंडराने लगा है। कई श्रमिक सुबह के समय सामग्री को नदी में एक जगह पर एकत्रित करते है और रात के अंधेरे में ट्रैक्टर-ट्रॉली में लादकर इस सामग्री का ढुलान किया जाता है। उधर, अवैध खनन की भेंट चढ़ मालन नदी पर बने पुल के टूटने के बाद भी खननकारियों पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा। हालात यह हैं कि मालन व सुखरो नदियों में दिन छिपते ही खनन के लिए ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतार लग जाती है। खनन का यह खेल पूरी रात चलता है।
बनाए गए हैं चोर रास्ते
कभी-कभी अचानक नींद से जागे सरकारी सिस्टम से बचने के लिए अवैध खननकारियों ने नदियों में चोर रास्ते बनाए हुए हैं। जैसे ही सिस्टम के अधिकारी या कर्मचारी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकड़ने के लिए नदियों में पहुंचते हैं व चोरी रास्तों से निकलकर गायब हो जाते हैं। यहीं नहीं अंधेरे में तेज रफ्तार से दौड़ने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली से हर समय दुर्घटनाओं का भी अंदेशा बना रहता है। अवैध खननकारी बरसाती गदेरे को भी नहीं छोड़ रहे।