हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया कि पतंजलि में निर्मित इम्युनोग्रीट औषधि असमय आने वाले बुढ़ापे को प्रभावी रूप से धीमा करती है। दावा किया कि पतंजलि के वैज्ञानिकों ने पौराणिक ग्रंथों में वर्णित अष्टवर्ग जड़ी बूटी से इम्युनोग्रीट औषधि पर शोध करके सिद्ध कर दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में 35-40 वर्ष की आयु में चेहरे पर झुर्रियां, माथे पर लकीरें होना आम बात हो गई है लेकिन समस्या का हल पौराणिक ग्रंथों में ही निहित है। दावा किया कि अष्टवर्ग जड़ी बूटियों को वर्तमान युग के अनुरूप, वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ इम्युनोग्रिट के रूप में प्रस्तुत किया है। आयुर्वेद के अनुसार अष्टवर्ग जड़ी बूटियां बलवर्धक, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली और आयु को बढ़ने से रोकने वाली विशेषताओं से निहित हैं। बताया कि इम्युनोग्रिट औषधि को विदारीकंद, मेदा, शतावरी, ककोली, क्षीरककोली, रिद्धि, वाराहीकंद, बला, सफेद मूसली, शुद्ध कौंच, अश्वगंधा से बनाया गया है। इन्हें हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में बुढ़ापे को मंद करने वाला माना गया है। बताया कि वृद्धावस्था को धीमा करने की शक्ति से निहित इम्युनोग्रिट औषधि के बारे में शोध अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।