भारतीय मुहिम का असर
विश्व कप क्रिकेट की टी 20 प्रतियोगिता जीतने के बाद भारतीय टीम ने पूरे देश को जश्न मनाने का मौका दिया तो वहीं पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की गतिविधियों को देखते हुए चैंपियंस ट्रॉफी में भाग लेने से मना कर दिया है। भारत के ना से पाकिस्तान में होने वाली चैंपियन ट्रॉफी का आयोजन ही खटाई में पड़ गया है, हालांकि पाकिस्तान के खिलाड़ियों और नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर भारत को उकसाने की बहुत कोशिश की लेकिन आतंकी हरकतें और खेल एक साथ नहीं चल सकता, यह संदेश देने का प्रयास पाकिस्तान को भारतीय टीम द्वारा किया गया है। काफी उम्मीद के साथ पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन अपने देश में करने में कामयाबी हासिल की थी लेकिन कोई भी टीम पाकिस्तान की जमीन पर ना तो खुद को सुरक्षित समझती है और ना ही यहां मैच खेलने की इच्छुक है। पाकिस्तान में अगले साल अपनी सरजमीं पर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन करना है। इस टूर्नामेंट में कुल 8 टीमें हिस्सा लेने वाली हैं, हालांकि इसमें से कई सारी टीमें ऐसी हैं, जो पाक देश में जाकर खेलना नहीं चाहते हैं। सबसे पहले इसका विरोध टीम इंडिया ने किया था तो इसी कड़ी में पिछले दिनों अफगानिस्तान ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए। पाकिस्तान अभी भारत और अफगानिस्तान को मनाने में ही लगा हुआ था कि अब एक और झटका पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को लगा है और अब न्यूजीलैंड भी इस सूची में शामिल हो गई है। भारत की ही तरह नन्यूजीलैंड की टीम चैंपियंस ट्रॉफी पाकिस्तान में नहीं खेलना चाहती। स्पष्ट है कि इन टीमों के इस फैसले के पीछे सिर्फ और सिर्फ सुरक्षा कारण ही प्रमुखता से उठाए गए हैं। भारतीय टीम ने आखिरी बार 2008 में पाकिस्तान में मैच खेला था लेकिन मुंबई हमलों के चलते भारत सरकार ने फिर कभी टीम इंडिया को पाकिस्तान जाकर क्रिकेट खेलने की इजाजत नहीं दी। पाकिस्तान का हिंसक अतीत अब आसानी से उसका पीछा छोड़ने वाला नहीं है और तमाम टीम में उसे अतीत को भी याद रखती आ रही है जिसमें साल 2009 में श्रीलंका टीम पाकिस्तान में खेल रही थी। 3 मार्च को उनकी टीम की बस गद्दाफी स्टेडियम लाहौर के पास खड़ी थी, कि 12 बंदूकधारी लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरु कर दिया। इस घटना ने पूरे खेल जगत को रख दिया था और यही से पाकिस्तान की क्रिकेट के बुरे दिन भी शुरू हो गए थे। आज स्थित है कि कोई देश पाकिस्तान में जाकर क्रिकेट नहीं खेलना चाहता और खुद पाकिस्तान की टीम भी विदेश में ही जाकर मैच खेल कर खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाए रखने का प्रयास कर रही है। भारत में तो पाकिस्तान का सीधा हस्तक्षेप है जिसके तहत लंबे समय से आतंकी घटनाओं को अंजाम देता आ रहा है और पिछले कुछ दिनों में तो पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त आतंकवादी अब सुरक्षा बलों पर हमले में लिप्त पाए गए हैं। इन परिस्थितियों में भारतीय टीम का पाकिस्तान में जाकर न खेलना भारतीय जन भावनाओं के ही अनुरूप है और इसमें किसी भी प्रकार से समझौता करना संभव नहीं है। पाकिस्तान को समझना चाहिए कि ऐसे दोगले व्यवहार से संबंध सुधरने वाले नहीं है और जल्द हालात नहीं सुधारे तो दूसरे क्षेत्रों में भी पाकिस्तान को बड़ा नुकसान होने वाला है।