महत्वपूर्ण शब्दावली कमरे के अंदर नहीं बल्कि देश भर में घूमकर बनाई जाएगी : प्रो. झा
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर गढ़वाल : हेमवती नंदन गढ़वाल विश्विद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा वैज्ञानिक तथा तकनीक शब्दावली आयोग, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से एकेडमिक एक्टिविटी सेंटर चौरास में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. गिरीश नाथ झा ने कहा कि गढ़वाल क्षेत्र बहुत सुंदर और बहुआयामी क्षेत्र है। गढ़वाली भाषा पर वर्तमान में बहुत शोध कार्य हो रहा है। भारत बहुभाषायी देश है। एक वाक्य को हम अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग तरह से उपयोग करते है। यह हमारी बहु भाषायी विरासत है। प्रो. झा ने कहा कि महत्वपूर्ण शब्दावली कमरे के अन्दर नहीं बल्कि देश भर में घूमकर बनायी जाती है, ताकि तकनीकी शब्दावलियों में स्थानीयता और भारतीयता की झलक आए। इससे आम लोग भी तकनीकी शब्दावलियों का सहजता से उपयोग कर पाते है। हमारा उद्देश्य है कि सभी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं में तकनीकी शब्दावली का उपयोग कर पुस्तकें लिखी जाय, ताकि नयी पीढ़ी अपनी भाषाओं में ज्ञान प्राप्त कर सके। वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली मंत्रालय देश भर से अलग-अलग भाषाओं में शब्दावलियों का निर्माण कर ज्ञान और समझ को आसान बनाना चाहता है, ताकि देशभर में अलग अलग भाषाओं वाले विद्यार्थियों के ज्ञान में भाषा रुकावट न बने।
इस दो दिवसीय कार्यशाला का मुख्य विषय “संसदीय लोकतांत्रिक परम्परा में तकनीकी शब्दावली का महत्व” है। जिसमें देश भर के विषय विशेषज्ञ जुटकर संसदीय तकनीकी शब्दावली के विकास एवं संवर्धन के विषय में विचार-विमर्श करेंगे। कार्यक्रम शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. गिरीश नाथ झा, अध्यक्ष वैज्ञानिक एवं तकनीक शब्दावली आयोग, संरक्षक गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, विशिष्ठ अतिथि प्रो. काशी नाथ जेना (कुलपति हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून), विशेष अतिथि डॉ. शहजाद अहमद अंसारी (सहायक निदेशक, वैज्ञानिक एवं तकनीक शब्दावली आयोग), प्रो. हिमांशु बौड़ाई (संकायाध्यक्ष मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय), कार्यशाला के संयोजक प्रो. एमएम सेमवाल ने द्वीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश नेगी ने किया। कार्यक्रम संयोजक प्रो. एम.एम. सेमवाल ने संसदीय लोकतंत्र में तकनीकी परिभाषिक शब्दावली के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके इतिहास तथा वर्तमान संदर्भों के विषय में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि विषयगत शब्दों का तकनीकी स्वरूप समझे बिना इनका भावार्थ नहीं समझा जा सकता और जहां एक तरफ संसदीय तकनीकी शब्दावली को समृद्ध करने की विशेष आवश्यकता है, वहीं दूसरी तरफ इसमें विदेशी क्लिष्ट भाषा के बजाय सुगृहय भारतीय भाषाओं का उपयोग किया जाना भी नितांत आवश्यक है। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में इसी प्रकार के तकनीकी शब्दों पर चर्चा की जायेगी। साथ ही उनके मानकीकरण हेतु आयोग को रिपोर्ट दी जायेगी। इस अवसर पर मुख्य नियंता प्रो. बीपी नैथानी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. महावीर सिंह नेगी, मुख्य छात्रावास अधीक्षक प्रो. दीपक कुमार, प्रो. नावेद जमाल, प्रो. यूसी गैरोला, प्रो. वीरपाल सिंह चौधरी, प्रो. सुनील खोसला, प्रो. राजपाल सिंह नेगी, डॉ. दिनेश गहलोत, डॉ. सर्वेश उनियाल, डॉ. आकाश रावत, डा.ॅ कपिल पंवार, डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. अमित कुमार शर्मा, आचार्य कमला कान्त मिश्र, डॉ. एम.पी. मिश्रा, डॉ. ममता त्रिपाठी, डॉ. अजय कुमार मिश्रा आदि मौजूद थे।
गढ़वाल विवि भारतीयता व स्थानीयता को दे रही बढ़ावा
गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति अन्नपूर्णा नौटियाल ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग का कार्यशाला के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह कार्यशाला विश्वविद्यालय को तकनीकी शब्दावलियों से संपन्न बनाएगी। गढ़वाल विश्वविद्याल भाषाओं के विषय में भारतीयता व स्थानीयता को बढ़ावा दे रहा है। नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को गढ़वाल विश्वविद्यालय ने गढ़वाली भाषा में अनुवाद किया है। गढ़वाल विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह की स्मारिका अब तीन भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और गढ़वाली भाषा में होगी। हम अपने छात्रों को ज्ञान की भाषायी बाध्यता से दूर करना चाहते है। इसके अलावा विश्वविद्यालय यह भी प्रयास कर रहा है कि विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा के अलावा दूसरी भाषा का भी ज्ञान हो, इसके लिए विश्व विद्यालय ने डिप्लोमा व प्रमाण पत्र कोर्स शुरू किये है।