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देवप्रयाग में व्यापारी और पालिका आमने-सामने

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नई टिहरी। बीते मई माह में शांता नदी में आए सैलाब से प्रभावित लोगों को दो माह बाद भी सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिल पाई है। प्रभावितों को सहायता मिलनी तो दूर, उलटे नगरपालिका ने क्षतिग्रस्त दुकानों के शटर बदलने पर उसका भुगतान को लेकर नोटिस पीड़ित दुकानदारों को थमा दिये हैं। इसके चलते नगरपालिका व पीड़ित दुकानदार आमने सामने हो गए हैं। बीती 11 मई को बादल फटने से देवप्रयाग नगर से होकर जाने वाली शांता नदी उफान पर आ गयी थी। जिससे यहां आईटीआई के तीन मंजिला भवन सहित करीब दस दुकाने पूरी तरह जमींदोज हो गयी थी। मामला गृह मंत्री अमित शाह के संज्ञान में आने के बाद तत्कालीन सीएम तीरथ सिह रावत ने अगले ही दिन देवप्रयाग का दौरा कर पीड़ितों को तत्काल सहायता देने के निर्देश शासन-प्रशासन को दिए। इसी क्रम में एडीएम ने नगर पालिका को अपनी क्षतिग्रस्त दुकानों की मरम्मत कर शटर बदलने के आदेश जारी किए। पालिका ने शटर तो बदल दिये मगर उसमे हुए खर्च की वसूली का नोटिस भी पीड़ित दुकानदार को दे दिया। पीड़ित दुकानदार हरीकृष्ण भट्ट के अनुसार पालिका ने अपनी ही दुकानों के शटर बदले और बतौर किरायेदार उन्हें 57 हजार का बिल भी थमा दिया। यही नहीं दुकान का दो माह का किराया भी भरने को कहा गया। आपदा की मार से रोजगार खो चुके दुकानदार पालिका के इस रवैये से काफी रोष में हैं। उनके अनुसार सहायता देने के बजाय उनका और उत्पीड़न किया जा रहा है। ऐसे स्थिति में वह कोर्ट की शरण में जाने को मजबूर होंगे। प्रदेश में इन दो माह में मुखिया तक बदल गया, मगर देवप्रयाग के आपदा पीड़ितों को सहायता मिलने का इंतजान अभी भी बना हुआ हैं।

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