रिखणीखाल के दर्जनों गांव में बाघ की धमक, घरों में कैद हुए एकल परिवार

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : प्रखंड रिखणीखाल के दर्जनों गांव में बाघ की धमक बनी हुई है। बाघ की दहशत में जी रहे ग्रामीणों का घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। सबसे अधिक खतरा एकल परिवारों को बना हुआ है।
प्रखण्ड रिखणीखाल के रथुवाढ़ाब से काण्डानाला-खदरासी तक के गांवों में बाघ की दहशत लगातार बढ़ती जा रही है। सायं छ: बजे से दरवाजा बंद कर अंदर कमरों में बुजुर्ग दंपति कैद हो जा रहे हैं। तीन दिन पूर्व रथुवाढ़ाब से सौ मीटर दूर पर ही झर्त निवासी विशम्बरी देवी को बाघ ने अपना निवाला बना दिया था। साथ ही तीन माह पूर्व डल्ला निवासी बीरेंद्र सिंह को भी गुलदार ने मौत के घाट उतार दिया था। रथुवाढाब से कालिंको के बीच विगत दो वर्षों से बंगाल टाइगर की आवाजाही राहगीरों द्वारा देखी गई है। जिसकी निरन्तर सक्रियता की जानकारी पूर्व में भी स्थानीय लोगों द्वारा विभाग को दी गई। रविवार रात ज्वालाचौड़ निवासी रामी देवी का कुत्ता जिंगले में था तो उसे निवाला बनाने के लिए बाघ पहुंचा। गुर्राहट सुनते ही घर में अकेली रह रही रामी देवी ने हल्ला मचाया बमुश्किल वहां से उसे भगाया। इसी तरह ज्वालाचौड़ में चार अन्य परिवार रहते हैं जो दूर फासले पर हैं। रात को शौच की समस्या हो तो नीचे आना खतरनाक साबित होता है। यही हाल कुमाल्डी, ढुंग्याचौड़, पार्ताचौड, कालिंको, गजरोड़ा, तूणीचौड़ व तैड़िया गांव में एकाकी जीवन जी रहे है। जो पांच बजे तक अपना खाना बनाकर दुबक कर अन्दर रहने को मजबूर हैं। पेयजल स्रोत भी झाड़ियों से पटे हैं तथा आवागमन पैदल मार्ग भी सुगम नहीं। क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया बिनीता ध्यानी का कहना है कि वन्य ग्राम तैड़िया पाण्ड गांवों को भुतियाने के बाद अब वन विभाग एवं सरकारी महकमा क्षेत्र को ही बर्बाद करने पर तुला हुआ है। कहा कि जल्द ही समस्या को लेकर आंदोनल भी किया जाएगा।

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