न्यू ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट मामले में सचिव नागरिक उड्डयन के न पेश होने पर कोर्ट नाराज, 15 सितंबर को पक्ष रखने को कहा
नैनीताल। हाईकोर्ट ने कुमाऊं के लिए न्यू ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट पंतनगर यूनिवर्सिटी की भूमि में बनाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आठ माह से अपना न रखने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए सचिव नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार को 15 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में पंतनगर निवासी केशव कुमार पासी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा है कि न्यू ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट को पंतनगर यूनिवर्सिटी के बीच में बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है। प्रस्तावित एयरपोर्ट को उत्तराखंड के लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाया जाए और एयरपोर्ट बनने से पंतनगर यूनिवर्सिटी के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न होने के साथ ही उत्तराखंड के लोगों को एयरपोर्ट पहुचने के लिए दिक्कतों का भी सामना करना पड़ेगा।
प्रस्तावित एयर पोर्ट को यूनिवर्सिटी के बीच में ना बनाकर नैनीताल व उधमसिंह सिंह नगर की तलहटी में खाली पड़ी लगभग 76 हजार 800 सौ एकड़ बंजर जमीन में बनाया जाए। विश्वविधालय के आसपास सिडकुल स्टेट हाइवे 37, पुराना एयरपोर्ट, पाँच नदियां व 6 नहरें है। अगर यहाँ प्रस्तावित एयरपोर्ट बनता है तो विश्वविधालय का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा। पन्तनगर एयरपोर्ट अविभाजित उत्तर प्रदेश ने अपनी सुविधा के हिसाब से 1957 में बनाया गया अब उत्तराखंड अलग हो चुका है, इसलिए नए एयरपोर्ट को उत्तराखंड की सुविधाओ के अनुसार बनाया जाय।
सचिव नागरिक उड्डयन मंत्रालय भारत सरकार ने 16 मार्च 2020 को उधम सिंह नगर के बरहैनी में एयरपोर्ट के लिए प्रस्ताव मांगा था, उसके बाद भी जिलाधिकारी ने गुपचुप तरीके से पंतनगर विश्वविद्यालय का प्रस्ताव भेजा गया। उन्होंने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा कि इस जगह में आबादी नही है जबकि यहां पर नगला, सिडकुल, विश्वविद्यालय, किच्छा, रुद्रपुर आबादी वाले क्षेत्र है। अगर एयरपोर्ट प्रस्तावित क्षेत्र में बनाया जाता है तो आम लोगो को पुराने एयरपोर्ट से 14 किलोमीटर और दूर जाना पड़ेगा।