हल्द्वानी। जीपीएस, क्यूआर कोड समेत अन्य डिजिटल तकनीक के दौर में भी खनन पर्ची फर्जीवाड़ा रोकने के लिए विशेष कागज का सहारा लेने की तैयारी है। हैरानी की बात यह है कि खनन का ई-रवन्ना प्रिंट करने के लिए खरीदे जाने वाले इस विशेष कागज पर करीब पांच करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान है। ऐसे में भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के इस आदेश पर सवाल उठने लगे हैं। एक तरफ जहां सरकारी विभागों को पेपर लैस करने की प्रक्रिया चल रही है, वहीं दूसरी तरफ भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय ने खनन कार्य कराने वाली एजेंसियों को ई-रवन्ना प्रिंट करने के लिए विशेष और महंगा कागज का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में वन निगम, केएमवीएन और जीएमवीएन को पत्र जारी किया है। भूतत्व एवं खनिकर्म के निदेशक की ओर से प्रबंध निदेशक गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) देहरादून, प्रबंध निदेशक कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) नैनीताल और प्रबंध निदेशक उत्तराखंड वन विकास निगम को जारी पत्र में ई-रवन्ना प्रपत्रों को ‘विशेष सिक्योरिटी फीचर युक्त पेपर पर जारी करने को कहा है। इस पेपर पर ई-रवन्ना को वैध मानने और अन्य कागज पर जारी किए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अगस्त से इस व्यवस्था को प्रदेश में लागू किया जाना था। साधारण कागज की जगह स्पेशल क्वालिटी के पेपर के इस्तेमाल के पीछे राज्य में अवैध खनिजों के अवैध परिवहन पर अंकुश लगाने की बात कही गई है। एक अनुमान के मुताबिक, राज्य की नौ नदियों में खनन के लिए ई-रवन्ना जारी करने पर इस सिक्योरिटी पत्र के इस्तेमाल से वन निगम पर करीब 50-60 लाख रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। वहीं केएमवीएन, जीएमवीएन, स्टोन क्रशर, प्राइवेट खनन पट्टा धारी संचालकों को भी जोड़ लिया जाए तो यह राशि करीब पांच करोड़ रुपये तक हो सकती है। सिर्फ एक विशेष सिक्योरिटी फीचर वाले कागज की कीमत ही चार रुपये बताई जा रही है। क्यूआर कोड है तो विशेष कागज की जरूरत नहीं दरअसल, फर्जी ई-रवन्ना पर्ची बनाकर उपखनिज के परिवहन की शिकायतें लगातार मिलती रहती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जिस पेपर पर वर्तमान में ई-रवन्ना जारी होता है, वह सस्ता सामान्य पेपर है। उसको सुबह जब डंपर खनन के लिए नदी में जाता है तो जारी किया जाता है। उसमें क्यूआर कोड होता है उसको स्कैन करने पर आसानी से वाहन, उसमें रखा आरबीएम समेत सारा विवरण मिल जाता है। अगले दिन फिर से जब खनन के लिए वाहन जाता है तो नया ई-रवन्ना जारी होता है। जहां तक अवैध उपखनिजों के परिवहन का सवाल है, उसके लिए चेकिंग टीम की संख्या बढ़ाना और अवैध खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई से ही समस्या को हल किया जा सकता है। सिक्योरिटी पेपर के इस्तेमाल से खनिज का अवैध तरीके से हो रहा परिवहन रुकेगा। फर्जी तरीके से बनाए जा रहे ई-रवन्ने पर भी रोक लगेगी और निगम की आय बढ़ेगी। -राजपाल लेघा, निदेशक, भूतत्व व खनिकर्म निदेशालय