कुलपति ने मांगी माफी, कहा- भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होगी
कोलकाता , स्वतंत्रता सेनानियों के प्रताप के लिए दुनिया भर में जाने जाने वाले बंगाल में इतिहास के प्रश्नपत्र में स्वतंत्रता सेनानियों को आतंकी करार देने पर हंगामा खड़ा हो गया है। जी हां, बंगाल के विद्यासागर विश्वविद्यालय (विवि) में स्नातक स्तर की परीक्षा के इतिहास के प्रश्नपत्र में स्वतंत्रता सेनानियों को आतंकी कहे जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। प्रश्न के तौर पर ब्रिटिश जमाने के मेदिनीपुर के उन तीन जिलाधिकारियों के नाम बताने को कहा गया है, जिनकी आतंकियों ने हत्या की थी। शिक्षाविदों के एक वर्ग ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि बार्ज, पेडी व डगलस ब्रिटिश जमाने के अत्याचारी जिलाधिकारी थे, जिन्हें बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों ने मारा था। उन्हें आतंकी कहना अनुचित है। दूसरी तरफ विवि प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए दो अध्यापकों को हटा दिया है। विवि के कुलपति दीपक कुमार कर ने कहा-गलत अनुवाद के कारण ऐसा हुआ है। हम इसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। मालूम हो कि बार्ज की अनाथबंधु पांजा, मृगेंद्रनाथ दत्त, रामकृष्ण राय, निर्मल जीवन घोष व ब्रजकिशोर चक्रवर्ती, पेडी की बिमल दासगुप्ता व ज्योति जीवन घोष और डगलस की प्रभांग्शु शेखर पाल व प्रद्योत कुमार भट्टाचार्य ने हत्या की थी। प्रद्योत, रामकृष्ण, निर्मल जीवन व ब्रजकिशोर को फांसी की सजा हुई थी। बिमल, ज्योति जीवन व प्रभांग्शु को कारावास की सजा सुनाई गई थी जबकि अनाथबंधु पुलिस के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। मुठभेड़ में बुरी तरह घायल हुए उनके साथी मृगेंद्रनाथ की भी अगले दिन चिकित्सा के दौरान मृत्यु हो गई थी। शिक्षकों के संगठन शिक्षानुरागी ऐक्य मंच के सचिव किंकर अधिकारी ने कहा कि यह एक अवांछित घटना है। भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।माकपा ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और राज्य स्तर पर तृणमूल कांग्रेस, दोनों ही इतिहास के साथ छेड़छाड़ के लिए ज़िम्मेदार हैं। पार्टी का दावा है कि यह घटना तो बस एक ताज़ा उदाहरण है। तृणमूल कांग्रेस की ज़िला इकाई ने भी मामले की गंभीरता को स्वीकार किया और कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों की तुलना आतंकवादियों से करना एक “अक्षम्य भूल” है।