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कोरोना संक्रमण के बीच दवाओं और सर्जिकल उत्पादों की मांग बढ़ी फ्लो मीटर की शॉर्टेज

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हल्द्वानी। कोरोना संक्रमण के बीच दवाओं और सर्जिकल उत्पादों की मांग बढ़ गई है। मेडिकल ऑक्सीजन की खपत में भी सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना इजाफा हो गया है। ऐसे में ऑक्सीजन के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। मगर, ऑक्सीजन सिलेंडर से सप्लाई जोड़ने वाला फ्लो मीटर बाजार से गायब हो गया है। हल्द्वानी में सर्जिकल उत्पादों के विक्रेताओं के मुताबिक रोजाना 100 से ज्यादा फ्लो मीटर की डिमांड है। इसके सेट में आने वाले मास्क और चाबी तो उपलब्ध हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर भी मिल रहे हैं। मगर, फ्लो मीटर सबसे अहम भाग है जो उपलब्ध ही नहीं है। हल्द्वानी में सर्जिकल उत्पादों के करीब 6 प्रमुख विक्रेता हैं। बताते हैं कि अप्रैल से पहले प्रति दिन करीब 9-10 फ्लो मीटर की डिमांड आती थी। जैसे ही कोरोना ने रफ्तार पकड़ी और ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ी तो फ्लो मीटर भी डिमांड में आ गया। 700 से 800 रुपये की कीमत में मिलने वाले इस उपकरण की जिले उपलब्धता नाम मात्र की ही है। जिले के जिम्मेदार अधिकारी से उपकरण उपलब्ध कराने के विषय में पूछा गया तो उन्होंने मीटिंग में होने की बात कहते हुए कुछ नहीं बताया।
एसटीएच में भी फ्लो मीटर की शॉर्टेज: एसटीएच सूत्रों के मुताबिक अस्पताल के वार्डों में दिए गए अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडरों में फ्लो मीटर लगा हुआ है। मगर, स्टॉक में करीब 20 मीटर ही हैं। हालांकि, एसटीएच ऑक्सीजन सप्लाई सेंट्रलाइज्ड पाइप सिस्टम से होती है। इस सिस्टम में लगने वाले मीटर का पर्याप्त स्टॉक होने की बात सामने आई है। उधर, बाजार में फ्लो मीटर न मिलने के कारण मरीजों के परिजनों को सबसे ज्यादा दिक्कतें सामने आ रहीं हैं। वह इन उपकरणों के लिए दूसरे शहरों की दौड़ लगा रहे हैं,लेकिन अन्य शहरों में इनकी उपलब्धता नहीं है।
क्या है फ्लो मीटर: ऑक्सीजन फ्लो मीटर ऑक्सीजन सिलेंडर में लगने वाला एक उपकरण है। फ्लो मीटर के जरिए ऑक्सीजन सिलेंडर से मरीजों तक ऑक्सीजन पहुंचता है। फ्लो मीटर के माध्यम से ही प्रतिघंटे के हिसाब से ऑक्सीजन मरीजों को दिया जाता है। सांस के रोगियों और आपातकालीन चिकित्सा कर्मचारियों की मदद करने के लिए उपयोग किया जाता है। ये वॉल्व ऑक्सीजन के अधिक शक्तिशाली प्रवाह को नियंत्रित कर सांस लेने वाले व्यक्ति को उतनी ही ऑक्सीजन सप्लाई करता है जितनी आमतौर पर आवश्यकता होती है।

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