नई दिल्ली ,जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए दुखद आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने सख्त रुख को केवल सैन्य या राजनीतिक बयानों तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि अब उस पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव भी बढ़ाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान की ‘दुखती नस’ यानी उसकी कमजोर अर्थव्यवस्था पर निशाना साधते हुए भारत ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और अन्य देशों से पाकिस्तान को दी जा रही वित्तीय सहायता रोकने का अनुरोध किया है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने एशियाई विकास बैंक (्रष्ठक्च) से पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर रोक लगाने का आग्रह किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में ्रष्ठक्च के प्रमुख मासातो कांडा के साथ हुई एक बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।
भारत की यह पहल केवल ्रष्ठक्च तक ही सीमित नहीं है। रिपोर्ट्स बताते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस मुद्दे को इटली के वित्तमंत्री सहित कई अन्य देशों के साथ भी उठा चुकी हैं। भारत इन देशों के साथ द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत कर रहा है ताकि वे पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोक दें या उसकी समीक्षा करें।
इसके समानांतर, भारत वैश्विक मंचों पर भी पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है। भारत वैश्विक स्तर पर अन्य देशों से यह अनुरोध कर रहा है कि पाकिस्तान को एक बार फिर से फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (स्न्रञ्जस्न) की ग्रे सूची में शामिल किया जाए। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है। स्न्रञ्जस्न की ग्रे सूची में शामिल होने से पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडिंग प्राप्त करना बेहद मुश्किल हो जाता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है।
भारत वैश्विक समुदाय से यह मांग भी कर रहा है कि पाकिस्तान को दी जा रही समग्र वैश्विक फंडिंग की दोबारा से बारीकी से जांच की जाए। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि यह वित्तीय सहायता कहीं आतंकवाद को बढ़ावा देने या भारत विरोधी गतिविधियों के लिए तो इस्तेमाल नहीं हो रही है।