भारतीय वायुसेना को मिलेंगे 97 नए तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमान

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-केंद्र ने खरीद को दी मंजूरी
नईदिल्ली ,भारतीय वायुसेना की ताकत और बढ़ने वाली है। केंद्र सरकार ने वायुसेना के लिए 97 एलसीए तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी है।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि एक उच्चस्तरीय बैठक में विमानों की खरीद को अंतिम मंजूरी दे दी गई है। 62,000 करोड़ रुपये की लागत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इन विमानों का उत्पादन करेगा।
नए ऑर्डर के बाद वायुसेना में तेजस विमानों की कुल संख्या 180 हो जाएगी। इससे पहले वायुसेना ने 83 तेजस विमानों का ऑर्डर करीब 48,000 करोड़ रुपये में दिया था। ये नए विमान मिग-21 विमानों की जगह लेंगे। बता दें कि मिग-21 विमान पुराने हो चुके हैं और आए दिन हादसे का शिकार होते हैं। इसी वजह से इन्हें चरणबद्ध तरीके से वायुसेना से बाहर किया जा रहा है। मिग विमानों को 19 सितंबर को सेवानिवृत्त किया जाएगा।
तेजस मार्क 1ए मौजूदा तेजस विमानों का आधुनिक संस्करण हैं। इसमें बेहद ताकतवर एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार लगा है, जो एक साथ कई लक्ष्यों और ठिकानों को ट्रैक कर सटीक हमला कर सकता है। इसका एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट दुश्मन के रडार और मिसाइल को चकमा देने में सक्षम है। विमान में हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है, जो इसे ज्यादा दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम बनाता है।
मार्क 1ए के रडार की रेंज और सटीकता पिछले संस्करण के मुकाबले कहीं बेहतर है। दुश्मन के विमानों का जल्दी पता लगाने के लिए इसमें अपग्रेडेड रडार वार्निंग रिसीवर सिस्टम लगाया गया है। इनमें नया एवियोनिक सूट, यूनिफाइड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर, ऑनबोर्ड ऑक्सीजन जेनरेशन सिस्टम जैसी तकनीक शामिल हैं। विमान के कॉकपिट में भी कई बदलाव हुए हैं। स्मार्ट मल्टी फंक्शन डिस्प्ले, डिजिटल मैप जनरेटर और एडवांस रेडियो अल्टीमीटर जोड़े गए हैं।
तेजस अधिकतम 1980 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। ये एक बार में 1,850 किलोमीटर दूरी तय कर सकता है। इसमें 8 अलग-अलग तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं। वर्तमान में इसमें एंटी-शिप मिसाइल लगी हुई है। भविष्य में इसमें और आधुनिक मिसाइलें लगाने की तैयारी है। कहा जाता है कि तेजस अपने छोटे आकार के कारण रडार सिस्टम को चकमा देने की काबिलियत भी रखता है।
नए तेजस विमान मिग विमानों की जगह लेंगे। मिग विमानों को 1963 में वायुसेना में शामिल किया गया था और अब तक 800 से ज्यादा मिग विमान सेना इस्तेमाल कर चुकी है। इनमें से करीब 500 मिग विमान क्रैश हो चुके हैं, जिसकी वजह से 200 से ज्यादा पायलट और करीब 50 आम लोगों को जान गई है। इसी वजह से मिग विमानों को उड़ता ताबूत भी कहा जाता है।

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