ज्योतिष से भारत की पूरे विश्व में विशेष पहचान : प्रो. सुब्रह्मण्यम

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टिहरी : देवप्रयाग में इन दिनों ज्योतिष का कुंभ चल रहा है। विभिन्न प्रदेशों के अनुंसधानकर्ता तथा जिज्ञासु यहां ज्योतिष सीख रहे हैं तथा अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर रहे हैं। आईआईटी मुंबई तथा एलबीएस समेत देश के नामी संस्थानों के विशेषज्ञ ज्योतिष एवं गणित का ज्ञान प्रदान कर रहे हैं।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में ज्योतिष विभाग की दस दिवसीय कार्यशाला का केंद्रीय विषय गणित है। विभिन्न प्रदेशों के 80 से अधिक लोग इसमें प्रतिभाग कर रहे हैं। जिनमें में छात्र, शोधार्थी, अध्यापक, डॉक्टर व अन्य क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के बलाहर, हिमाचल परिसर के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. विजेंद्र शर्मा ने ज्योतिष की बारीकियों, उसके उद्देश्य और समाज में उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने गणितपाद में वर्णित ज्या, खंडज्या, वृतादि परिकल्पनाओं के प्रकार, वृत्त में अर्धज्या एवं शरों का संबंध आदि पर व्याख्यान दिया। ‘आर्यभटीयस्य गणित पाद प्रशिक्षण कार्यशाला’ में भोपाल परिसर के ज्योतिष विभाग अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने मनुष्यों की विभिन्न समस्याओं के निराकरण में ज्योतिष के योगदान को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने दस स्थान संख्याओं की संज्ञा, वर्गमूल और घनमूल का प्रशिक्षण दिया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई में संस्कृत विभाग की भारतीय विज्ञान एवं तकनीकी शाखा के अध्यक्ष प्रो. के. रामसुब्रह्मणियम् ने वैदिक गणित पर व्याख्यान देते हुए कहा कि ज्योतिष को गणित से अलग नहीं किया जा सकता। प्राचीन आर्यभटीय गणित के सिद्धांतों के आधार पर आज भी ग्रहों से संबंधित संपूर्ण गणित किया जाता है। परिसर निदेशक प्रो. पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि ज्योतिष ज्ञान के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में ऐसी कार्यशालाओं का बड़ा महत्व है इनमें छात्रों के इतर लोग भाग ले सकते हैं। इस कार्यशाला में इतनी अधिक संख्या पुष्टि करता है कि ज्योतिष की समाज में कितनी उपयोगिता है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष के कारण भारत की पूरे विश्व में विशेष पहचान है। कार्यशाला संयोजक डॉ. ब्रह्मानंद मिश्र, सह संयोजक डॉ. सुरेश शर्मा, सदस्य डॉ. आशुतोष तिवारी व साहिल शर्मा हैं। (एजेंसी)

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