बिग ब्रेकिंग

वैक्सीन पासपोर्ट के पक्ष में ताकतवर देशों पर भारत का कड़ा विरोध, ळ-7 की बैठक में हर्षवर्धन ने गिनाई कई बातें

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली, एजेंसी। अपनी बड़ी आबादी का टीकाकरण कर चुके विकसित देशों की वैक्सीन पासपोर्ट की पहल का भारत ने कड़ा विरोध किया है। विकसित देशों के संगठन जी-7 के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में हर्षवर्धन ने वैक्सीन पासपोर्ट का विरोध करते हुए फिलहाल इसे विकासशील देशों के खिलाफ बताया है। जी-7 में भारत आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल है।
शुक्रवार को जी-7 की हुई वर्चुअल बैठक में अमेरिका और ब्रिटेन ने वैक्सीन पासपोर्ट शुरू करने पर जोर दिया और यूरोपीय देशों ने इसका समर्थन भी किया। उनका कहना था कि जो लोग वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं, वे वायरस से एक तरह से सुरक्षित हैं। इसलिए ऐसे लोगों के कहीं भी आने-जाने पर पाबंदी नहीं होनी चाहिए। लेकिन भारत की ओर से हर्षवर्धन ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि विकासशील और पिछले देशों में वैक्सीन की उपलब्धता काफी कम है। ऐसे में यदि वैक्सीन को पासपोर्ट की तरह इस्तेमाल किया गया, तो उन देशों के लोग कहीं नहीं आ-जा पाएंगे।
वहीं, विकसित देशों के लोगों के लिए आवाजाही की टूट हो जाएगी। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए विभिन्न देशों ने आरटी-पीसीआर निगेटिव टेस्ट को अनिवार्य बनाया हुआ है। ध्यान देने की बात है कि अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे अधिक वैक्सीन देने के बावजूद भारत अब तक 3़5 फीसद से अधिक आबादी को ही दोनों डोज दे सका है।
जी-7 में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, कनाडा और इटली शामिल हैं। अपेक्षात कम जनसंख्या और बड़े संसाधन के बल पर इन देशों ने पहले से ही वैक्सीन की अधिकांश डोज बुक कर ली थी। इसके बल पर वे अपनी बड़ी आबादी का टीकाकरण करने में सफल रहे। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया के गरीब और विकासशील देशों में वैक्सीन की कमी का मुद्दा उठाता रहा है। शुक्रवार की चर्चा में भी भारत की ओर से यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन जी-7 देशों ने इसके प्रति अपनी प्रतिबद्घता नहीं जताई। इसके बजाय उन्होंने विकासशील और गरीब देशों को जल्द-से-जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने की कोशिश के पुराने रुख को ही दोहराया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!