पहाड़ के बेहतर विकास के लिए युवाओं की पहल जरूरी
उत्तराखंड नव निर्माण फाउंडेशन की ओर से आयोजित की गई गोष्ठी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : उत्तराखंड नव निर्माण फाउंडेशन ने युवाओं से पहाड़ के विचार के लिए आगे आने की अपील की है। कहा कि पहाड़ की बेहतर तरक्की के लिए युवाओं को पहल करनी चाहिए।
भाबर क्षेत्र में आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि रीयर एडमिरल ओमप्रकाश सिंह राणा एवीएसएम, वीएसएम ने कहा कि पहाड़ में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक रूप से कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में जन विपरीत नियोजन सबसे बड़ा कारण पहाड़ वासियों का पिछड़ने का है। एडमिरल राणा ने कहा कि पहाड़ की लड़ाई पहाड़ में जाकर ही लड़ी जा सकती है। इसलिए नौजवानों को पहाड़ की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आना होगा। राणा ने कहा कि पहाड़ी समाज को समृद्ध करने के लिए शिक्षा प्रावधान में बदलाव और समृद्धि लानी होगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ की लड़ाई करने में हम सक्षम हैं। इसके लिए क्षेत्रीय राजनीतिक संगठन को मजबूत करना पड़ेगा। हम सब पहाड़ वासियों को एक मंच पर खड़ा होना होगा। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि पहाड़ में अतुल प्राकृतिक संपदा है जिसका वैज्ञानिक और पर्यावरण ढंग से दोहन हो तो पहाड़ समृद्ध शाली हो सकता है। इसमें क्षेत्रीय राजनीतिक संगठन की बड़ी भूमिका हो सकती है। क्षेत्रीय राजनीतिक शक्ति के कार्यकर्ताओं का जनाधार होना चाहिए। पहाड़ वासियों का विकास योजना और पर्यावरण में संतुलन होकर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मानवीय विकास और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण का अस्तित्व तभी है जब वह मानव विकास में सहायक हो। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं में जो बाधक कानून हैं वह बाधा दूर करनी होगी। विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर अरुण ढौंढियाल ने कहा कि पहाड़ का विकास के आधार शिक्षा, संस्कृति, परंपरा और भाषा है। पहाड़ के विकास के लिए स्थानीय भाषा का समृद्ध शाली होना आवश्यक है। उन्होंने गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी भाषाओं के विकास के लिए सरकार को ठोस उपाय करने का परामर्श दिया। उन्होंने विद्वत समाज और छात्रों से आग्रह किया कि पहाड़ों को बचाने के लिए आप सबको योगदान देना होगा। प्रेस क्लब के अध्यक्ष नागेन्द्र उनियाल ने कहा कि पहाड़ बचाने के लिए जन जागरुकता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहाड़ को बचाने के लिए सड़कों पर आना होगा, युवा और महिला समाज को संगठित कर आंदोलन करना होगा। अध्यक्षीय भाषण में फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. शक्तिशैल कपरवाण ने कहा कि उत्तराखंड में शक्तिशाली लोकायुक्त की व्यवस्था होनी चाहिए और लोकायुक्त को मुख्यमंत्री, मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार और सजा देने का प्रावधान होना चाहिए। पहाड़ के अस्तित्व व पहाड़ की रक्षा के लिए भू कानून ,चकबंदी व मूल निवास लागू होना चाहिए। जल-जंगल-जमीन पर जनता का अधिकार हो। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार व अपराध को संरक्षण देने वाले राज नेताओं को कठोर सजा देने का प्रबंध होना चाहिए। इनके जकड़ में फंसे पहाड़ को बचाना होगा। पहाड़ के अस्तित्व की रक्षा के लिए विचार करने वालों में भुवन जोशी, प्रमोद काला, एपी जुयाल, दीपक गैरोला, गोविंद डंडरियाल, महेंद्र सिंह रावत, मोहन सिंह असवाल, शांति भट्ट, सुलोचना इष्टवाल, प्रवेंद्र रावत, अमित नेगी, जगदीपक रावत, दीपक कुकरेती, राकेश बिष्ट, मीनाक्षी घिल्डियाल, तेज सिंह कार्की, बिजेंद्र रावत, मनोज डोबरियाल, शिव सिंह रावत लुसुन टोडरिया, सोमेश बुडा़कोटी, शिव सिंह रावत, डा. गोविंद सिंह रावत, विपिन रावत, राजेंद्र गुसाईं आदि ने विचार व्यक्त किये। सेमिनार की अध्यक्षता डॉ. शक्तिशैल कपरवाण ने की और संचालन गोविंद डंडरियाल ने किया।