उत्तराखंड

रिजर्व फरेस्ट में खनन पर जवाब पेश करने के निर्देश

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने रिजर्व फरेस्ट एरिया में प्राइवेट लोगों को खनन की अनुमति देने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार से एक हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है। अगर एक हफ्ते में जवाब पेश नहीं किया जाता है तो 25 हजार रुपये का जुर्माना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने के आदेश दिए है। पिछली तिथि को कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा था। परंतु आज तक जवाब पेश नहीं करने पर कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते का और समय दिया है। बाजपुर निवासी रमेश कम्बोज ने जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा कि राज्य सरकार ने रिजर्व फरेस्ट एरिया में खनन कार्य प्राइवेट लोगों को दे दिया है। इसमें ये लोग मानकों के अनुरूप खनन नहीं करते हैं। जो माननीय उच्च न्यायलय के 2014 में दिए गए आदेश के खिलाफ है। सरकार रिजर्व फरेस्ट में खनन कार्य प्राइवेट लोगों को नहीं दे सकती। इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेनी जरूरी होती है और सरकारी एजेंसियां ही खनन कर सकती है। 2015 में राज्य सरकार की विशेष अपील सुप्रीम कोर्ट से निरस्त हो गयी थी। राज्य सरकार इस आदेश के बाद भी प्राइवेट लोगों को रिजर्व फरेस्ट में खनन के पट्टे दे रही है इसलिए इस पर रोक लगाई जाए।

 

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