व्यक्ति को उसकी प्रकृति का ज्ञान होना जरूरी है : शिव प्रताप शुक्ला

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : हर व्यक्ति की प्रकृति उसके जन्म से पहले ही निर्धारित हो जाती है, लेकिन इंसान की यह प्रवृति है कि वह हर किसी के स्वभाव और आचरण के बारे में तो ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता है, लेकिन स्वयं अपनी प्रकृति से अनजान बना रहता है।
यह बात हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने सेक्टर 51 स्थित भारतीय धरोहर के सभागार में अपने संबोधन के दौरान कही। राज्यपाल शुक्ला ने भारतीय धरोहर के अनुभवी वैद्यों के प्रकृति परीक्षण की मुहिम को सराहते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपनी प्रकृति का ज्ञान होना चाहिए कि उसके शरीर में पित्त, वात और कफ की मात्रा कितनी है। राज्यपाल ने कहा कि जब मनुष्य को अपनी प्रकृति का पता होगा तो वह अपने शारीरिक और मानसिक बीमारियों का गुण-दोष के आधार पर मूल्यांकन कर चिकित्सकीय परामर्श के आधार पर अपनी दिनचर्या में सुधार लाकर अपने व्यवहार में अपेक्षित बदलाव लाकर सुधार कर सकता है। इस अवसर पर धर्मयात्रा महासंघ के महामंत्री शिव नारायण सिंह, पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर भारतीय धरोहर के चेयरमैन रमेश कपूर, उपाध्यक्ष महेश बाबू गुप्ता, महामंत्री विजय शंकर तिवारी, संगठन मंत्री प्रवीण शर्मा, कोषाध्यक्ष मोहनलाल शुक्ला, संरक्षक अतुल शर्मा, अजय सिंघल, सुधीर कौल, पत्रकार एवं साहित्यकार प्रदीप कुमार वेदवाल, विनोद शास्त्री, प्रमोद शर्मा, राजीव शर्मा, भारतेंदु शर्मा, नैवेद्य शर्मा, श्रीमती कोमल तिवारी, धर्मेंद्र शर्मा, रामेंद्र सिंह, राहुल त्रिपाठी, रविकांत मिश्रा आदि मौजूद थे।

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